बारिश ने सरसों की फसल पर पानी फेरा
दाम बढ़ने के कारण इस बार किसानों ने सरसों की फसल की तरफ रुख किया है। क्षेत्र में 33 हजार हेक्टेयर भूमि में विभिन्न किस्म की फसलें बोई जाती हैं।
संवाद सहयोगी, हथीन : आफत किसानों का पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रही है। खरीफ की फसल गंवा चुके किसानों की दो दिन से हो रही बारिश ने हालिया बोई सरसों की फसल पर उगने से पहले ही पानी फेर दिया। अब किसानों को दुबारा लागत लगाकर फसल बोनी पड़ेगी। इससे किसानों के चेहरों पर मायूसी साफ देखी जा सकती है।
बता दें कि पिछले दिनों भारी बारिश के कारण किसानों की बाजरे तथा कपास की फसलों में बहुत नुकसान हुआ है। इससे उत्पादन और फसल की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गुणवत्ता खराब होने पर बाजरे की फसल को किसानों को एक हजार रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बेचना पड़ा, जबकि बाजरे की एमएसपी 2,250 रुपये प्रति क्विंटल थी। कपास की गुणवत्ता भी खराब होने पर फसल को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ा। ज्यादा बारिश होने से किसानों की कपास उत्पादन क्षमता में भी गिरावट दर्ज की गई है।
खरीफ की फसल के नुकसान से किसान उबरे भी नहीं थे कि दो दिन से हो रही बारिश ने सरसों उत्पादकों को निराश कर दिया। दाम बढ़ने के कारण इस बार किसानों ने सरसों की फसल की तरफ रुख किया है। क्षेत्र में 33 हजार हेक्टेयर भूमि में विभिन्न किस्म की फसलें बोई जाती हैं। क्षेत्र के घर्राेट, जनाचौली, बहीन, मलाई, धीरनकी, लखनाका, पहाड़पुर, रुपडाका, उटावड़, घुडावली, स्यापनकी, बिचपुरी, हथीन, कोंडल, मानपुर, खाइका, अंधोप व कई अन्य गांवों में किसानों ने सरसों की अच्छी-खासी बिजाई हाल ही में की है। किसानों की मानें तो एक एकड़ भूमि में 900 रुपये का सरसों का बीज, 1400-1500 रुपये की डीएपी के खाद तथा तीन से चार हजार रुपये की जुताई के रूप में खर्च करना पड़ा है। किसानों का कहना है कि दोबारा बुआई के लिए धन का इंतजाम करना उनके सामने चुनौती बनकर खड़ी है। कई एकड़ में तीन-चार दिन पहले सरसों बोई थी, लेकिन दो दिन से हो रही बारिश ने पूरी बुआई को खत्म दिया। दोबारा बीज-खाद की कैसे व्यवस्था होगी।
-हसन मोहम्मद, किसान, गांव मलाई पहले कपास खराब हुई। फिर धान-बाजरा खराब हुआ। अब बोई गई सरसों खत्म हो गई। कहां तक खेती में पैसे लगाएं। आर्थिक तंगी मुंह बाए खड़ी है।
-जसमत सिंह, किसान गांव घर्रोट सरसों की जो फसलें हाल ही बोई हैं, उनमें बारिश से नुकसान हो गया। सरसों नहीं उगने पर किसानों को दोबारा बुआई करनी पड़ेगी। जहां पर सरसों के पत्ते जमीन से ऊपर आ चुके हैं, वहां पर ज्यादा नुकसान नहीं होगा।
-मुकेश कुमार, कृषि अधिकारी हथीन