बगैर शिक्षकों के चल रहे हैं क्षेत्र के सात सरकारी स्कूल

एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति लागू करने की बात कह रही है तो दूसरी तरफ उपमंडल हथीन में सात सरकारी स्कूल बगैर शिक्षक के चल रहे हैं। ऐसे में बेहतर तालीम की उम्मीद करना बेमानी ही लग रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 05:22 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 05:22 PM (IST)
बगैर शिक्षकों के चल रहे हैं क्षेत्र के सात सरकारी स्कूल
बगैर शिक्षकों के चल रहे हैं क्षेत्र के सात सरकारी स्कूल

मोहम्मद हारून, हथीन

एक तरफ सरकार नई शिक्षा नीति लागू करने की बात कह रही है तो दूसरी तरफ उपमंडल हथीन में सात सरकारी स्कूल बगैर शिक्षक के चल रहे हैं। ऐसे में बेहतर तालीम की उम्मीद करना बेमानी ही लग रही है। ग्रामीण आंचल के छह मिडिल तथा एक प्राथमिक स्कूल में कोई शिक्षक नहीं है। नतीजतन, सैकड़ों बच्चों का शैक्षिक भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है।

बगैर शिक्षकों के अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराने लगे हैं। अभिभावकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग का पढ़ाई की तरफ कतई ध्यान नहीं।

उपमंडल हथीन के 84 गांवों में कहने को तो 97 प्राथमिक, 55 मिडिल, 10 हाई तथा 16 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं, लेकिन सात गांवों ऐसे हैं जहां पर स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं है। विभाग के आंकड़ों के अनुसार मीरपुर, मालूका, लड़माकी, नांगल सभा, पहाड़पुर, बाबूपुर गांवों में मिडिल स्कूल हैं, लेकिन इन स्कूलों में काफी अरसे से कोई भी सरकारी शिक्षक तैनात नहीं हैं।

इसके अलावा खेडली ब्राह्मंण प्राथमिक स्कूल में भी कोई शिक्षक तैनात नहीं हैं। इन गांवों के मिडिल व प्राथमिक स्कूलों में सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया सकता है कि बगैर शिक्षक के बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी। बताते हैं कि स्कूलों में बच्चे शिक्षा ग्रहण करने जाते जरूरत है, लेकिन वह बगैर पढ़ाई के वापस लौट आते हैं। एक तो पहले ही डेढ़ साल से कोरोना के कारण पढ़ाई व्यवस्था चौपट रही, अब स्कूलों में पढ़ाई शुरू हुई तो शिक्षक ही नहीं। ऐसे में बेहतर शिक्षा की उम्मीद करना फिलहाल बेमानी ही नजर आ रही है। कहने को तो विभाग की तरफ से ऐसे स्कूलों में वैकल्पिक व्यवस्था कराई हुई है। लेकिन यह व्यवस्था कारगर साबित नहीं होती। चूंकि छठी से लेकर आठवीं तक कई विषय पढ़ाने होते हैं। उसके लिए अलग-अलग विषयों के शिक्षकों की जरूरत होती है। 11 मिडिल स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक: जहां सात स्कूलों में कोई शिक्षक नहीं हैं, वहीं उपमंडल के 11 स्कूल ऐसे हैं जहां पर मिडिल स्कूलों में केवल एक-एक शिक्षक हैं। एक शिक्षक छठी से आठवीं तक बच्चों को कैसे संभाल पाएगा, यह सोचने का विषय है। दूरेंची, भीमसीका, मलाई कन्या माडल संस्कृति स्कूल, बुराका, ढकलपुर तथा छह अन्य मिडिल स्कूलों में भी केवल एक-एक शिक्षक तैनात है। सरकारी स्कूलों में पंजीकृत छात्रों

की संख्या पर एक नजर

स्कूल पंजीकृत छात्रों की संख्या

पहली से पांचवीं 29945

छठी से मिडिल 9894

नौवीं से 10वीं 2854

11वीं से 12वीं 1719

कुल छात्र 48685

स्कूलों में बगैर शिक्षक के कैसे पढ़ाई होगी। इसमें विभाग की उदासीनता साफ झलकती है। इस पर सरकार को गौर करना चाहिए।

- राकेश देशवाल, निवासी पोंडरी सरकार का शिक्षा के प्रति कोई ध्यान नहीं है। ऐसी ही हालत रही तो सरकारी स्कूलों से अभिभावकों का मोह भंग हो जाएगा।

- मोहम्मद इसराइल, कांग्रेसी नेता निवासी कोट सरकार को शिक्षा नीति को लागू करना है तो ठोस उपाय करने होंगे। इसके लिए शिक्षकों की जल्द व्यवस्था होनी चाहिए।

- डा. दिनेश शर्मा, निवासी गांव घर्रोट जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं। वहां पर वैकल्पिक व्यवस्था कराई जा चुकी है। जल्द ही तबादले होने वाले हैं। सभी स्कूलों में शिक्षकों की नियमित व्यवस्था होगी।

- गौतम कुमार, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी पलवल

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