जलता कूड़ा व उड़ती धूल बढ़ा रहे प्रदूषण का स्तर

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के चेयरमैन भूरेलाल ने पड़ोसी जिले फरीदाबाद के अधिकारियों के संग वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये बैठक की तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए उन्हें निर्देशित किया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 06:23 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 05:16 AM (IST)
जलता कूड़ा व उड़ती धूल बढ़ा रहे प्रदूषण का स्तर
जलता कूड़ा व उड़ती धूल बढ़ा रहे प्रदूषण का स्तर

संजय मग्गू, पलवल

शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते सोमवार को प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण के चेयरमैन भूरेलाल ने पड़ोसी जिले फरीदाबाद के अधिकारियों के संग वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये बैठक की तथा प्रदूषण नियंत्रण के लिए उन्हें निर्देशित किया। अपने शहर में भी जगह-जगह लगे गंदगी के ढेर, जलते कूड़े से उठती दुर्गंध व धुएं के गुबार तथा जलाई जा रही वनस्पति से बढ़ते प्रदूषण स्तर के चलते जिले में भी लोगों का जीना दुश्वार किया हुआ है। शेष कसर राष्ट्रीय राजमार्ग सहित शहर की सड़कों पर उड़ती धूल-मिट्टी ने पूरी कर दी है, लेकिन न तो प्राधिकरण तथा न ही जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस तरफ ध्यान दे रहे हैं।

एनसीआर में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण लगातार गंभीरता बरतते हुए पूरी तरह से सक्रिय है तो सरकारें भी योजनाएं बना रहीं हैं। शहरी व औद्योगिक क्षेत्रों में जेनरेटर चलाने पर रोक लगाने सहित और भी कई एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं तो किसान फसल अवशेष (पराली) न जलाएं इसके प्रबंधन के लिए भारी-भरकम बजट रखा गया है। जिले में पराली जलाने के मामलों में तो काफी हद तक रोक लगती दिख रही है, लेकिन शहर में उड़ती धूल तथा जलते हुए कूड़े में से उठते धुएं के चलते बढ़ रहा वायु प्रदूषण स्तर पीएम 2.5 मंगलवार को 155 तक पहुंच गया। बढ़ता प्रदूषण यूं करता है स्वास्थ्य पर असर : बढ़ता प्रदूषण का स्तर सांस व दिल के रोगियों के लिए तो जानलेवा होता ही है, स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी परेशानी का कारण बनता है। वायु प्रदूषण का स्तर 50 तक सामान्य माना जाता है जबकि 50 से ऊपर पहुंचते ही सांस के रोगियों के लिए तकलीफ देह होने लगता है। 101 से 150 का स्तर सांस व दिल के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकत है तो इससे ऊपर जाते ही स्वस्थ लोगों को भी आंखों में जलन, सांस लेने में परेशानी महसूस होने लगती है। 200 से ऊपर का स्तर खतरनाक स्थिति की तरफ इंगित करता है। प्रदूषण स्तर कंट्रोल करने के लिए जागरण की सलाह

शहर में पानी का छिड़काव कराया जाए, ताकि धूल-मिट्टी न उड़े

- पेड़ों पर भी पानी का छिड़काव कराया जाए, ताकि पेड़ पूरी आक्सीजन का प्रसारण कर सकें

- राजमार्ग पर पड़ी निर्माण सामग्री को ढका जाए तथा उस पर भी पानी का छिड़काव हो

- कूड़ा जलाने वालों पर सख्ती की जाए तथा उन पर जुर्माना लगाया जाए

- भवन निर्माण कराने वालों को ढक कर काम करने के लिए निर्देश दिए जाएं प्रदूषण की समस्या वैसे तो सभी के लिए तकलीफ देह है, लेकिन सांस व दमे के रोगियों के लिए सबसे अधिक परेशानी का कारण बनती है। नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए कि वे कूड़े में आग न लगाएं तथा औरों को भी रोकें। नगर परिषद भी इस तरफ ध्यान दें कि अगर सफाई कर्मचारी कूड़ा जलाएं तो उन्हें दंडित किया जाए।

- मनीष जैन, सामाजिक कार्यकर्ता प्रदूषण इस समय सबसे बड़ी समस्या है तथा इसके लिए सरकार व प्रशासन के साथ-साथ लोग भी जिम्मेदार हैं। सभी को प्रण लेना होगा कि वे कचरे का सही से निस्तारण करेंगे तथा कूड़े में आग नहीं लगाएंगे। सामाजिक संगठनों को भी इस पर जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

- दशरथ थानेदार, पर्यावरणविद् शहर में कूड़ा जलाए जाने पर रोकथाम व कार्रवाई नगर परिषद को करनी होती है। हमें भी शिकायत मिली थी, जिस पर जिला पालिका आयुक्त को पत्र लिखा गया था। हमारा विभाग भी इस दिशा में प्रयासरत है कि शहर में कूड़े या वनस्पति में आग न लगाई जाए।

- विजय चौधरी, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पराली न जलाई जाए, इसे लेकर जिला प्रशासन पूरी तरह से सक्रिय है। कृषि विभाग के संयोजन में लगातार जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ड्रोन से भी निगरानी रखी जा रही है तथा 10 किसानों पर जुर्माना भी लगाया गया है। शहर में कचरे का सही निष्पादन हो तथा उसे न जलाया जाए, इसके लिए पिछले दिनों हुई बैठक में नगर परिषद के अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।

- नरेश नरवाल, जिला उपायुक्त

chat bot
आपका साथी