फूलों की वर्षा के साथ हुआ नगर कीर्तन का स्वागत

सबसे पहले नगर कीर्तन सुबह करीब 1100 बजे उत्तर प्रदेश के आगरा से हरियाणा के होडल पहुंचा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 07:08 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:00 PM (IST)
फूलों की वर्षा के साथ हुआ नगर कीर्तन का स्वागत
फूलों की वर्षा के साथ हुआ नगर कीर्तन का स्वागत

जागरण संवाददाता, पलवल: बंदीछोड़ दिवस के 400वें वर्ष को समर्पित ऐतिहासिक नगर कीर्तन ग्वालियर से बृहस्पतिवार को पलवल पहुंचा। भव्य स्वागत के साथ नगर कीर्तन पर जगह-जगह फूलों की वर्षा की गई। इस दौरान शबद कीर्तन की गूंज से सारा माहौल भक्तिमय हो गया। नगर कीर्तन में बड़ी संख्या में कार, मोटर साइकिल, बस और ट्रक शामिल रहे। 27 अक्टूबर को ग्वालियर से चला यह नगर कीर्तन तीन नवंबर को श्री अकाल तख्त साहिब, अमृतसर (पंजाब) पहुंचेगा।

सबसे पहले नगर कीर्तन सुबह करीब 11:00 बजे उत्तर प्रदेश के आगरा से हरियाणा के होडल पहुंचा। इसके बाद पलवल के अटोहां चौक पर पहुंचा, जहां चल रहे किसान आंदोलन में प्रदर्शनकारियों ने नगर कीर्तन में शामिल संगत का फूल मालाओं से स्वागत किया। दोपहर एक बजे शहर की न्यू कालोनी स्थित गुरुद्वारे में नगर कीर्तन का श्री गुरु सिंह सभा द्वारा भव्य स्वागत किया गया। न्यू कालोनी गुरुद्वारा साहिब में ज्ञानी गुरमीत सिंह और प्रबंधक कमेटी के प्रधान डा. अनूप सिंह, कृष्ण छाबड़ा, मोहन सिंह, सचिव परमिद्र सिंह और कोषाध्यक्ष अमर सिंह आदि ने यात्रा का स्वागत किया। इस दौरान नगर कीर्तन में शामिल संगत ने लंगर भी खाया। दोपहर करीब दो बजे नगर कीर्तन आगरा चौक होते हुए ओल्ड जीटी रोड स्थित गुरुद्वारा पहुंचा, जहां ज्ञानी छविद्र सिंह, प्रधान दलजीत सिंह, सचिव देसा सिंह आदि ने यात्रा का स्वागत किया। वहां से जत्था फरीदाबाद के लिए रवाना हो गया। प्रदर्शनकारियों ने किया जोरदार स्वागत

इस नगर कीर्तन का गांव अटोहां मोड़ पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने जोरदार स्वागत किया। किसान नेता महेंद्र सिंह चौहान की अगुवाई में प्रदर्शनकारियों ने नगर कीर्तन पर पुष्पों की वर्षा की। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान डा. अनूप सिंह ने बताया कि मीरी-पीरी के मालिक छठे पातशाह गुरु हरगोविद साहिब ग्वालियर के किले में जहांगीर द्वारा बंदी बनाए गए 52 हिदू राजाओं को रिहा करवाकर एक माह बाद दीपावली के अवसर पर श्री अकाल तख्त साहिब, श्री अमृतसर साहिब पहुंचे थे। संगत ने अकाल पुरख का आभार जताया था और देशी घी के दीपक जलाकर खुशी जाहिर की थी। उसी की याद को ताजा करते हुए बंदी छोड़ दिवस की 400वें वर्ष की शताब्दी के उपलक्ष्य में ग्वालियर से चला यह नगर कीर्तन तीन नवंबर की शाम को श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर साहिब पहुंचेगा।

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