बगैर शिक्षकों के बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेमानी

विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले के हथीन पलवल होडल हसनपुर बडौली खंड के 65 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रवक्ता के 1108 पद स्वीकृत हैं लेकिन इनमें से 385 पद प्रवक्ताओं के खाली पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 10 Nov 2021 07:37 PM (IST) Updated:Wed, 10 Nov 2021 07:37 PM (IST)
बगैर शिक्षकों के बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेमानी
बगैर शिक्षकों के बेहतर शिक्षा की उम्मीद बेमानी

मोहम्मद हारून, पलवल:

यूं तो सरकार शिक्षा के नाम पर हर वर्ष करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। खंड हथीन के कुछ स्कूल तो ऐसे हैं जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है। कहने को तो सरकार 11 नवंबर को हर वर्ष शिक्षा दिवस के रूप में मनाती है, लेकिन स्टाफ पूरा करने की तरफ शिक्षा विभाग का ध्यान ही नहीं है।

विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 65 सीनियर सेकेंडरी स्कूल, 42 हाई, चार आरोही, दो कस्तूरबा, सैकड़ों मिडिल और प्राथमिक स्कूल हैं। विभागीय आंकड़ों के अनुसार जिले के हथीन, पलवल, होडल, हसनपुर, बडौली खंड के 65 सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में प्रवक्ता के 1,108 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 385 पद प्रवक्ताओं के खाली पड़े हैं। इसी तरह जिले में जेबीटी टीचर के 2,315 पद स्वीकृत किए हुए हैं, लेकिन इनमें केवल 1,563 पदों पर जेबीटी शिक्षक लगाए हुए हैं। हालांकि 796 जेबीटी पदों पर गेस्ट अध्यापक नियुक्त किए गए हैं। उसके बाद भी प्राथमिक स्तर पर 252 पद स्कूलों में रिक्त पड़े हैं। इनमें 173 जेबीटी शिक्षकों के पद केवल हथीन खंड में खाली हैं। इसके अलावा जिले में सीनियर सेकेंडरी स्कूलों में तीन पद प्रधानाचार्य के पद रिक्त हैं। जिले के दो हाई स्कूल बगैर हेड मास्टर के हैं। मिडिल स्कूलों की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है।

हथीन में 44 मिडिल स्कूलों में स्टाफ की हालत ज्यादा खराब है। विभाग के रिकार्ड के अनुसार जिले के हथीन खंड के गांव मीरपुर, मालूका, लड़माकी, नांगल सभा, पहाड़पुर, बाबूपुर गांवों के मिडिल स्कूलों में कोई शिक्षक ही नहीं हैं। ये स्कूल बगैर शिक्षकों के चलाए जा रहे हैं। वहीं खेडली ब्राह्मंण गांव के प्राथमिक स्कूल में भी बगैर शिक्षक के ही चल रहा है। कमोबेश ऐसी स्थिति अन्य खंड के कई स्कूलों की भी बनी हुई है। स्कूलों में शैक्षिक स्टाफ के अतिरिक्त गैर शैक्षिक स्टाफ की भी कमी है।

शिक्षा के जानकारों की मानें तो बच्चे की पढ़ाई की प्राथमिक नींव प्राइमरी स्कूल से रखी जाती है, जब प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों की कमी होगी तो बच्चों की नींव कमजोर होनी लाजमी है। बता दें कि देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस 11 नवंबर को शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह सिलसिला 11 नवंबर 2008 से चला आ रहा है, लेकिन हर साल विभाग के अधिकारी शिक्षा दिवस मनाकर इतिश्री कर लेते हैं। स्कूलों में शिक्षक व पढ़ाई की गुणवत्ता की तरफ ध्यान नहीं देते। विभाग की तरफ से समय-समय पर उच्च अधिकारियों को रिक्त पदों के बारे में अवगत कराया जाता है। तबादला प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसमें कुछ पदों पर उम्मीद हैं कि शिक्षक आ जाएं, जिन प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की कमी हैं, वहां वैकल्पिक व्यवस्था कराई है।

--गौतम कुमार, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी पलवल

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