बीमा कंपनी को मुआवजे सहित देना होगा कानूनी खर्च

संवाद सहयोगी, पलवल : बीमा कंपनी ने मोती कालोनी पलवल निवासी विनोद बाला गुप्ता का मेडीक्लेम तो कर

By JagranEdited By: Publish:Mon, 09 Oct 2017 06:29 PM (IST) Updated:Mon, 09 Oct 2017 06:29 PM (IST)
बीमा कंपनी को मुआवजे सहित देना होगा कानूनी खर्च
बीमा कंपनी को मुआवजे सहित देना होगा कानूनी खर्च

संवाद सहयोगी, पलवल : बीमा कंपनी ने मोती कालोनी पलवल निवासी विनोद बाला गुप्ता का मेडीक्लेम तो कर दिया, परंतु जब वह बीमार हुई तो मेडीक्लेम देने से इंकार कर दिया। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने पीड़ित महिला को न्याय प्रदान करते हुए ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड तथा पार्क मेडीक्लेम टीपीए प्राइवेट लिमिटेड को आदेश दिए हैं कि वे इलाज पर खर्च हुई 1,94,230 रुपये की राशि का भुगतान करें। इसके अलावा महिला को 25 हजार रुपये मुआवजा तथा 5500 रुपये कानूनी खर्चा भी प्रदान करें।

विनोद बाला गुप्ता वर्ष 2011 से ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से मेडीक्लेम पॉलिसी कराती आ रही है। इसी क्रम में 2 दिसंबर 2015 को उन्होंने एक वर्ष के लिए पांच लाख रुपये के बीमा धन के लिए पॉलिसी खरीदी। आंखों की बीमारी के कारण फरीदाबाद के निजी अस्पताल के विशेषज्ञ डाक्टर के परामर्श अनुसार उन्होंने इलाज कराने का निर्णय लिया। बीमा कंपनी ने भी इसकी अनुमति दे दी तथा कहा कि इलाज का खर्चा अस्पताल से रिलीव होने के बाद दे दिया जाएगा। अस्पताल में इलाज कराने पर उनका 2,01,717 रुपये खर्चा आया। उन्होंने कंपनी से क्लेम पाने के लिए दस्तावेज जमा कर दिए। 70 वर्षीया विनोद बाला का क्लेम कंपनी ने देने से मना कर दिया। परेशान होकर उन्होंने जिला उपभोक्ता फोरम का सहारा लिया।

फोरम के समक्ष अपने लिखित कथन में बीमा व टीपीए कंपनी ने कहा कि विनोद बाला ने जो इलाज कराया था, वह कंपनी के नियमों व शर्तों के तहत नही आता। उनकी आंखें भी अचानक खराब नही हुई थी। बढती आयु के कारण ऐसा हुआ था। इसलिए क्लेम को सही रद्द किया गया है। उन्होंने विनोद बाला के केस को खारिज करने की मांग की।

फोरम के अध्यक्ष जगवीर ¨सह तथा सदस्या खुश¨वद्र कौर ने अपने निर्णय में कहा कि विनोद बाला बुजुर्ग महिला है और वह वर्ष 2011 से लगातार मेडीक्लेम पॉलिसी ले रही है। इस दौरान उन्होंने कभी कोई क्लेम नही लिया। बीमा कंपनियों की यह आदत बन गई है कि वे असली क्लेम को भी रद कर देती हैं। यह कंपनिया मोटा मुनाफा कमा रही हैं तथा उपभोक्ताओं को परेशान कर रही हैं। इस मामले में भी कंपनियों ने सेवाओं में कमी बरती है। फोरम ने विनोद बाला के परिवाद को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किए। फोरम ने आदेश का निष्पादन करने के लिए 45 दिन का समय प्रदान किया तथा हिदायत दी कि इस अवधि में अनुपालना न होने पर दस हजार रुपये का अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

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