किसानों के लिए फायदेमंद है बेल वाली सब्जियों की अगेती फसल
बेल वाली (कद्दू वर्गीय) सब्जियों की अगेती खेती करके किसान अछा लाभ कमा सकते हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल : बेल वाली (कद्दू वर्गीय) सब्जियों की अगेती खेती करके किसान अच्छा लाभ कमा सकते हैं। कद्दू वर्गीय सब्जी लौकी, तोरई, पेठा, टिडा, करेला का उपयोग पकाकर सब्जी के रूप में तो खीरा व ककड़ी को सलाद के रूप में किया जाता है। खरबूजा व तरबूज मीठे फल के रूप में स्वास्थ्य वर्धक होने के साथ-साथ प्लेट की शोभा बनते हैं तो पेठा व लौकी मिठाई बनाने के काम भी आती है। कृषि विशेषज्ञ डा. महावीर सिंह मलिक ने गांव बागपुर में आयोजित किसान गोष्ठी में किसानों को बेल वाली सब्जी के उत्पादन के बारे में जानकारी दी। किसानों को बैंगन, टमाटर, मिर्च की बसंत कालीन रोपाई के बारे में भी बताया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ किसान सोहनपाल ने की तथा संचालन सत्यप्रकाश ने किया। गोष्ठी में प्रगतिशील किसानों में रामवीर, चरण, महिपाल,धर्मवीर, थान सिंह, सुखबीर, जोगिद्र ,राजेंद्र ,रवि, धर्मेंद्र, बृजपाल, धर्मपाल, सुरेंद्र मौजूद रहे। गोष्ठी में डा. मलिक ने बताया कि कद्दू जाति की सब्जियों में ज्यादा ठंड व पाला सहन करने की क्षमता नहीं होती है। इनकी खेती के लिए 20 से 40 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान उपयुक्त रहता है। इन सब्जियों की अगेती फसल लेने के लिए पालीथिन के लिफाफे में जनवरी माह में पौध तैयार करके उचित तापमान आने पर इनको खेत में लगाकर अच्छी पैदावार ली जा सकती है। जनवरी महीने में किसान खरबूजा, तरबूज, लौकी, पेठा, तोरई की अगेती फसल लेने के लिए 15 गुना 10 सेंटीमीटर की थैलियों में इनकी पौध तैयार करें। पालीथिन के नीचे दो-तीन छोटे छेद कर दें,ताकि फालतू पानी उनमें न ठहर सके। ऐसे तैयार करें पौध :
प्रत्येक पालीथिन थैली में गोबर की खाद तथा खेत की मिट्टी बराबर मात्रा में मिलाकर डालनी चाहिए तथा मुर्गी की खाद का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसका अंकुरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। एक थैली में अच्छी किस्म के दो-तीन स्वस्थ बीज बोएं, बीज उपचारित न हो तो इन्हें दो ग्राम कैप्टन या 3 ग्राम थाईराम प्रति किलो बीज दर से सूखा उपचार कर लेना चाहिए। तैयार पालीथिन को ऐसे सुरक्षित स्थान पर रख दें, जहां इन्हें धूप व हवा तो मिले परंतु सर्दी से इनका बचाव हो सके।
इसके लिए बड़े छप्पर, बरामदे या बालकनी में जहां धूप आ जाती हो वहां रख दें, तथा आवश्यकतानुसार पानी देते रहें। जब पौध 30 से 40 दिन की हो जाए तो इनको खेत में रोपाई कर देनी चाहिए। जिस खेत में इनकी रोपाई करनी है वहां पर संतुलित मात्रा में खाद व उर्वरक डालकर उसे तैयार कर लेना चाहिए।इससे इन सब्जियों की बेले शीघ्र चलने लगेंगी तथा अगेती फल आने से बाजार भाव भी अच्छा मिलेगा।