डीए बहाली व ठेका प्रथा को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा मुखर

कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा व जिला सचिव योगेश शर्मा ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार लगातार नव उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू करते हुए कर्मचारी किसान मजदूर व आम जनता विरोधी फैसले ले रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Jul 2021 07:26 PM (IST) Updated:Wed, 14 Jul 2021 07:26 PM (IST)
डीए बहाली व ठेका प्रथा को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा मुखर
डीए बहाली व ठेका प्रथा को लेकर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा मुखर

जागरण संवाददाता, पलवल: केंद्र व राज्य सरकार की जनविरोधी नीतियों एवं कर्मचारियों की लंबित मांगों को लेकर अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर सर्व कर्मचारी संघ के बैनर तले आइटीआइ, रोडवेज, बिजली बोर्ड, वन विभाग, पटवार भवन और भवन निर्माण विभाग के कर्मचारी 15 जुलाई को राष्ट्रीय प्रतिरोध दिवस के मौके पर जिले के चारों ब्लाकों में इकट्ठे होकर प्रदर्शन करके प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपेंगे। यह जानकारी संघ जिला प्रधान राजेश शर्मा ने बुधवार को आइटीआइ पलवल में हुई बैठक के दौरान दी।

कर्मचारियों को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा व जिला सचिव योगेश शर्मा ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व में केंद्र की एनडीए सरकार लगातार नव उदारीकरण की नीतियों को तेजी से लागू करते हुए कर्मचारी, किसान, मजदूर व आम जनता विरोधी फैसले ले रही है। केंद्र सरकार का एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन की बहाली, ठेका प्रथा समाप्त कर अनुबंधित कर्मचारियों को पक्का करने की मांग को लेकर उपेक्षापूर्ण रवैया जारी है। महंगाई भत्ते पर जनवरी 2020 से रोक लगाकर कर्मचारियों के 2,500 करोड़ रुपए डकार चुकी है। केंद्र व प्रदेश सरकार ने प्रीमेच्योर रिटायरमेंट का सर्कुलर जारी कर कर्मचारियों पर एक और हमला बोल दिया है। इसके साथ ही पूंजीपतियों के हक में श्रम कानूनों को बदल दिया गया है। केंद्र व राज्य सरकार सार्वजनिक सेवाओं, शिक्षा, स्वास्थ्य, जनस्वास्थ्य, बिजली व परिवहन समेत सभी का निजीकरण कर रही है।

सर्व कर्मचारी संघ के जिला प्रधान राजेश शर्मा, ब्लाक प्रधान राजकुमार डागर, ने कहा कि 2010 में लगे पीटीआइ व ड्राइंग अध्यापकों की नौकरी को खत्म करने के बाद खेल कोटे से लगे 1,518 ग्रुप डी के कर्मचारियों सहित कई विभागों के कच्चे कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। ट्रेड यूनियनों की लगातार मांगों के बावजूद न तो परियोजना कर्मियों व मजदूरों को 24,000 रुपये न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है और न ही मनरेगा मजदूरों को नियमित काम व सम्मानजनक मजदूरी दी जा रही है।

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