छांयसा का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साबित हो रहा सफेद हाथी

कागजों में यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दो साल से चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 02 Oct 2021 07:32 PM (IST) Updated:Sat, 02 Oct 2021 07:32 PM (IST)
छांयसा का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साबित हो रहा सफेद हाथी
छांयसा का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र साबित हो रहा सफेद हाथी

मोहम्मद हारून, हथीन:

बुखार से आठ बच्चों की मौत के बाद गांव छांयसा में मायूसी छाई हुई है। गांव में कई जगहों पर गंदगी फैली है तो कहीं बारिश का पानी भरा हुआ है, जिसके निकासी की कोई व्यवस्था नहीं की गई। इसके अलावा गांव में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करके बनाया गया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है। कागजों में यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दो साल से चल रहा है। दो साल से इसके नाम से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यहां पर लाखों रुपये खर्चा दिखा चुके हैं, लेकिन यहां पर एक दिन भी स्टाफ नहीं बैठा।

कागजों में यहां पर दो चिकित्सक, तीन स्टाफ नर्स, एक दंत चिकित्सक, दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मी लगाए हैं, लेकिन लगाए गए कर्मी पलवल, हथीन व अन्य जगह पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। कई अधिकारी आए और कागजों में खाना पूर्ति करके चले गए। फिलहाल स्वास्थ्य केंद्र बाढ़ की चपेट में है। इसके चारों तरफ पानी भरा है।

इस केंद्र पर छांयसा, मठेपुर, महलूका, हुंचपुरी खुर्द, हुंचपुरी कला, रनसीका, दूरेंची के अलावा कई अन्य गांवों के लोगों का स्वास्थ्य का जिम्मा है। वर्ष 2018 में इस स्वास्थ्य केंद्र को स्वास्थ्य विभाग ने अपने अधीन ले लिया था तभी यहां पर स्टाफ नियुक्त किया गया। छांयसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर फिलहाल डा.ऋषभ, डा. महेश, डा. हनुमंत की ड्यूटी लगी है। बता दें कि डा. ऋषभ पलवल सामान्य अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं। डा. महेश को हथीन आपातकालीन विभाग में लगाया हुआ है और बाकी समय में वे फील्ड में काम देखते हैं। दांतों के डाक्टर हुनमंत हथीन व पलवल के अस्पताल में इलाज करते हैं। तीन नर्सों में से एक नर्स रजनी को पलवल, दूसरी नर्स डिपंल को मंडकोला में लगाया हुआ है। तीसरा नर्स मनीषा गांव में कभी -कभी आती जाती हैं। ऐसे में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीद करना बेमानी ही होगी। ग्रामीण कहते हैं कि अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में की तरफ विभाग का ध्यान होता तो बच्चों की मौत नहीं होती। मेरी नौ माह की बेटी बुखार से मर गई। यही हाल रहा तो और बच्चे भी मर सकते हैं। सरकार त्वरित कोई स्वास्थ्य सुविधाएं गांव में शुरू कराए।

- नासिर हुसैन, निवासी छांयसा मेरी पोती की मौत हुई है, मुझे दुख है। यहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है। लाखों रुपये खर्च करके भी सुविधा नहीं है।

- साहुन, निवासी छांयसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का सारा सामान आया है। स्वास्थ्य केंद्र में जलभराव के कारण सेवाओं की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। स्थिति सही होने पर पूरा स्टाफ बैठाया जाएगा। स्टाफ गांव में सेवाएं दे रहा है।

-डा. विजय कुमार, एसएमओ, हथीन

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