कबाड़ जलाकर हवा में घोल रहे हैं जहर
तावडू नगर के आवासीय क्षेत्र में प्लास्टिक जलाकर एनजीटी के आदेशों की खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं कबाड़ी।
संवाद सहयोगी, तावडू : नगर के आवासीय क्षेत्र में प्लास्टिक जलाकर एनजीटी के आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नगर के बाईपास के दोनों तरफ दर्जनों की संख्या में कबाड़ियों के गोदाम हैं जो सूरज ढलते ही बड़ी मात्रा में प्लास्टिक की केबल जलाकर उनसे तांबा निकाल हवा में जहर घोल रहे हैं।
बता दें कि तावडू सीमा से सटे भिवाड़ी औद्योगिक क्षेत्र से बड़ी संख्या में कबाड़ी प्लास्टिक वेस्ट लाते हैं। इस प्लास्टिक वेस्ट में आने वाली बिजली की केबल को जलाकर यह लोग तांबा और सिल्वर निकालकर पैसा कमाने के चक्कर में लोगों के जीवन से खिलवाड़ कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन चुप्पी साधे हुए है।
इसके साथ ही नगर के साथ लगते कई इलाकों में प्लास्टिक पन्नी इत्यादि जलाकर प्लास्टिक दाना बनाने में काम आने वाले गुटके बना रहे हैं। इनसे निकलने वाला जहरीला धुआं दमा और अन्य मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञ डा. राजपाल बिधूड़ी का कहना है कि बदलते परिवेश में मानव जन्म से ही प्लास्टिक उत्पादों का आदी हो जाता है। जन्म लेते ही बच्चे को प्लास्टिक से बनी दूध पिलाने वाली बोतल थमा दी जाती है। उसके बाद खिलौने भी प्लास्टिक के होते हैं। घर में इस्तेमाल होने वाली अधिकतर वस्तुएं प्लास्टिक आधारित होती हैं जो मानव जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है। और, जब हम प्लास्टिक को कचरा बनाकर उसे जला देते हैं और समझते हैं कि हमने इसे खत्म कर दिया। हमारी यही भूल कैंसर जैसी जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन रही है। इस्तेमाल की जा चुकी प्लास्टिक को खुले में डालकर हम पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे जहां भूमि की उर्वरक क्षमता कम हो रही है, वहीं कहीं-न-कहीं गिरते भूजल स्तर का कारण भी है। कई स्थानों पर गुपचुप तरीके से प्लास्टिक को आग के हवाले किया जा रहा है जो मानव के स्वास्थ्य के लिए घातक है।
वर्जन
प्लास्टिक जलाने से लोगों में कैंसर के अलावा फेफड़ों संबंधित बीमारियां बढ़ रही हैं। प्लास्टिक कचरा पर्यावरण के लिए नासूर से कम नहीं, इसे जलाने से जहरीली गैस निकलती है। जितना हो सके, इसे भी रिसाइकिल के लिए भेजें।
-कर्ण सिंह सहरावत, भूगर्भ व पर्यावरण विशेषज्ञ