जिले में फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम शुरू : सिविल सर्जन

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला नूंह में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत गांवों और स्कूलों में बच्चों तथा आम लोगों की जांच की जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 10:09 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 10:09 PM (IST)
जिले में फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम शुरू : सिविल सर्जन
जिले में फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम शुरू : सिविल सर्जन

जागरण संवाददाता, नूंह : स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिला नूंह में राष्ट्रीय फ्लोरोसिस रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत गांवों और स्कूलों में बच्चों तथा आम लोगों की जांच की जा रही है।

सिविल सर्जन डा. सुरेंद्र यादव ने बताया कि फ्लोरोसिस गंभीर और दर्दनाक बीमारी है, जो मुख्य रूप से दांतों और हड्डियों को प्रभावित करती है। विश्व स्वास्थ्य सगंठन द्वारा पानी में फ्लोराइड की न्यूनतम मात्रा 1.5 पीपीएम तय की गई है वहीं हमारे जिले में पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। पीने के पानी मे अधिक फ्लोराइड होने के कारण हमारे दांतों मे पीलापन होने लगता है तथा शरीर के जोडों में जकड़न आने लगती है और हमारे दांत समय से पहले ही खराब हो जाते है और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।

उन्होंने बताया कि सिविल अस्पताल मांडीखेडा के फ्लोरोसिस लेबोरेटरी में अपने पीने के पानी की जांच कराएं तथा इस बीमारी से सम्बन्धित अधिक जानकारी के लिए जिला अस्पताल माण्डीखेड़ा के फ्लोरोसिस नियंत्रण विभाग के कमरा न. 46 में सम्पर्क कर सकते है।

बीमारी के मुख्य लक्षण : मतली उल्टी आना, भूख कम लगना, पेट में दर्द होना, गैस बनना, पेट फूलना, दांतो का रंग बदलना, बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक प्यास लगना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द रहना, लंबी दूरी तक चलने मे असमर्थता होना आदि है।

यूं करें बचाव : फ्लोरोसिस बीमारी से बचाव के लिए भरपूर मात्रा में हरी सब्जियों, फलों, दूध और दुग्ध उत्पादों वाला संतुलित भोजन करें तथा उच्च फ्लोराइड युक्त भोजन जैसे काला नमक, सुपारी, तम्बाकू तथा फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट का इस्तेमाल करने से बचें।

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