जनसंख्या नियोजन के लिए उम्मीदों से भरा है 2021
जनसंख्या नियोजन की दिशा में नूंह जिला अभी भी सबसे पिछड़े जिलों में से एक है।
योगेश सैनी, पुन्हाना
जनसंख्या नियोजन की दिशा में नूंह जिला अभी भी सबसे पिछड़े जिलों में से एक है। जनसंख्या नियोजन के लिए सरकार व प्रशासन ने जिले में काफी कदम उठाए हैं, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद अभी भी प्रदेश भर में फैमिली साइज में नूंह प्रथम स्थान पर है। इसका कारण जागरूकता की कमी से लेकर शिक्षा की कमी भी है, लेकिन इस सबके बाद अब नूंह जिला भी जनसंख्या नियोजन की दिशा में बढ़ रहा है।
पिछले दो वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो नूंह बेहतरी की ओर बढ़ रहा है। जानकार इसे विकास की एक महत्वपूर्ण कड़ी मान रहे हैं। जनसंख्या नियोजन को लेकर नव वर्ष 2021 काफी उम्मीदों से भरा है। इसको लेकर प्रशासन भी हर संभव प्रयास कर रहा है।
जिले में साक्षरता दर कम होने के कारण अभी भी काफी लोग रूढि़वादिता की चादर में लिपटे हुए हैं, लिहाजा यहां अभी भी फैमिली साइज करीब साढ़े छह से सात का है, जो प्रदेश में सबसे अधिक है। इसका मुख्य कारण सभी महिलाओं व पुरुषों द्वारा परिवार नियोजन का पूरी तरह से न अपनाना है।
हालांकि स्वास्थ्य विभाग पूरा प्रयास कर रहा है, लेकिन उनके प्रयास उतने कारगर साबित नहीं हो रहे हैं, जितने होने चाहिए। लेकिन पिछले दो वर्षों में परिवार नियोजन के साथ ही जनसंख्या नियोजन को कुछ गति जरूर मिली है। आंकड़े बताते हैं कि यहां लोगों ने नसबंदी कराई है तो महिलाएं भी नसबंदी व अन्य नियोजन के तरीके अपनाने में आगे आई हैं। ग्रामीण स्तर तक पहुंचेगा अभियान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार नए वर्ष में जनसंख्या नियोजन अभियान को ग्रामीण स्तर पर भी चलाया जाएगा। गांवों में शिविर लगाकर परिवार नियोजन की लोगों को विस्तार में जानकारी देकर उन्हें इसके प्रति जागरूक किया जाएगा। वहीं इसको लेकर लोगों के भ्रम को भी दूर किया जाएगा। इसलिए जरूरी है जनसंख्या नियोजन
प्रदेश में प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में से 136 महिलाएं मर जाती हैं, तो नूंह में यह औसत सबसे अधिक है। यहां प्रसव के दौरान एक लाख महिलाओं में से 153 महिलाएं मर जाती हैं। इसी प्रकार प्रदेश में जन्म के दौरान एक हजार शिशुओं में से 41 की कई कारणों से मौत हो जाती है तो जिले में यह आंकड़ा 47 है। जिले की 80 प्रतिशत से अधिक महिलाओं में खून की कमी है। करीब 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिनमें खून बहुत कम है। यह एक गंभीर विषय है। आंगनवाड़ी व एएनएम का ले रहे सहारा
जनसंख्या नियोजन के लिए एएनएम से लेकर आंगनवाड़ी वर्करों का भी सहारा लिया जा रहा है। उनके द्वारा समय-समय पर महिलाओं को नसबंदी के अलावा नियोजन के अन्य कई तरीकों की जानकारी देकर उन्हें प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। सलामती योजना होगी कारगर
जच्चा-बच्चा मृत्यु दर कम करने के लिए व बच्चों में अंतर के साथ-साथ महिलाओं की सेहत को सलामत रखने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने सलामती योजना शुरू की है। बच्चों में अंतर रखने के लिए डीएमपीए का इंजेक्शन लगाना शुरू कर दिया है। यह सुविधा हर सरकारी अस्पताल में मौजूद है। जनसंख्या नियोजन के लिए लोग जागरूक हो रहे हैं। जहां पिछले वर्ष करीब 1000 परिवार नियोजन के लिए आगे आए थे वहीं अब नए वर्ष में 3000 का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए विभाग द्वारा हर संभव प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
- डा. सुरेंद्र यादव, सीएमओ नूंह