श्रीराम मंदिर निर्माण का सपना हुआ साकार

आखिर एक लंबे अरसे के बाद वो पल आ ही गया जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने का मार्ग साफ हुआ है। बुधवार को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 05 Aug 2020 06:38 PM (IST) Updated:Wed, 05 Aug 2020 06:38 PM (IST)
श्रीराम मंदिर निर्माण का सपना हुआ साकार
श्रीराम मंदिर निर्माण का सपना हुआ साकार

जागरण संवाददाता, नूंह: आखिर एक लंबे अरसे के बाद वो पल आ ही गया जब अयोध्या में श्रीराम मंदिर बनने का मार्ग साफ हुआ है। बुधवार को मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन हुआ। करीब कई घंटों तक चले भगवान शिव के रुद्राभिषेक के पश्चात मंदिर निर्माण की पहली ईट रखी गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित संत महात्माओं की गौरवमयी उपस्थिति ने आयोजन को और भी भव्य बना दिया। इसको लेकर तावड़ू के लोगों ने अपने विचार इस प्रकार रखे। धर्म नगरी अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के मंदिर के निर्माण दिवस की सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। आज के इस ऐतिहासिक दिन को उत्सव के रूप में मनाकर अपने द्वार पर पांच देसी घी के दीपक जलाए।

महेंद्र गोयल, पूर्व उपाध्यक्ष मार्केट कमेटी, तावडू इसको लेकर पहले भी कोई शंका नही थी। भगवान राम का मंदिर तो वहां पहले से ही था, लेकिन विदेशी आक्रमणकारियों ने देश में हमारे धार्मिक स्थलों को तोड़ा। प्रत्येक हिदुस्तानी का सपना आज साकार हो गया।

राकेश बिलासपुरिया, पार्षद भारतवर्ष के लिए इससे बड़ा शुभ दिन नहीं हो सकता। जिन लोगों ने मंदिर आंदोलन में अपने प्राणों की आहुति दी है, आज का दिन उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि देने का है।

मनोज यादव, समाजसेवी सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई व मंदिर आंदोलन में प्राण गंवाने वाले सभी कारसेवकों को नमन। मेरी सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि अब इस पर राजनीति ना करें। भव्य मंदिर निर्माण का ही लक्ष्य हो।

निरंजन उर्फ लीलू, पूर्व पार्षद आज का दिन सभी हिदुओं के लिए ऐतिहासिक है। भगवान राम का मंदिर यहां भी नहीं बनता तो कहां बनता। श्री राम सभी के लिए आराध्य हैं। पुरातत्व विभाग की खोदाई में तो पहले ही मंदिर के अवशेष मिल चुके थे। सभी देशवासियों को बधाई।

बिजेंद्र प्रजापत, समाजसेवी पुस्तकों में पढ़ा है कि किस प्रकार विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारे धार्मिक स्थलों को तोड़कर मस्जिदें बनाई। समय का चक्र फिर घूमा जहां पहले मंदिर था वहां अब फिर मंदिर होगा।

जितेंद्र गोदारा, छात्र

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