बदलते मौसम में बीमारियों का जोर, मरीजों से भरे अस्पताल

आधा सितंबर बीतने के बाद भी बारिश की आंख मिचौली जारी है कभी बारिश तो कभी तेज धूप के कारण रंग बदलते मौसम से बीमारियां चरम पर है। वहीं मानसून की बारिश के कारण कई जगह बाजरा व प्याज की फसलों

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 06:21 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 06:21 PM (IST)
बदलते मौसम में बीमारियों का जोर, मरीजों से भरे अस्पताल
बदलते मौसम में बीमारियों का जोर, मरीजों से भरे अस्पताल

- कभी बरसात तो कभी तेज धूप के कारण बदलते मौसम से बढ़ रहीं बीमारियां

संस, तावडू : आधा सितंबर बीतने के बाद भी बारिश की आंख मिचौली जारी है, कभी बारिश तो कभी तेज धूप के कारण रंग बदलते मौसम से बीमारियां चरम पर है। वहीं मानसून की बारिश के कारण कई जगह बाजरा व प्याज की फसलों को भी नुकसान हो रहा है।

इस साल भादो माह की बारिश में मच्छर व परजीवी अधिक ताकतवर बनकर रोगों के संचालक बन रहे हैं। पूर्व प्रवर चिकित्सा अधिकारी डा. हकीकत राय गोगिया ने बताया कि अबकी बार मच्छरों की कई नई प्रजातियां सामने आ रही हैं। अब उन जगहों भी मच्छरों की भारी संख्या देखने को मिल रही है जहां जलभराव जैसी कोई समस्या नहीं है। बुखार का स्वरूप भी अबकी बार कुछ बदला नजर आ रहा है। शरीर में तापमान बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द एक नई समस्या बनकर उभर रहा है, जिसके कारण शरीर में बड़ी तेजी से गिरावट व कमजोरी आती है। इसके अलावा खांसी, जुकाम, बलगम के साथ छाती में दर्द होना आम बात है। वायरल के मरीजों की बात करें तो यह बुजुर्ग व बच्चों को आसानी से अपनी चपेट में ले रहा है।

वहीं डा. रामअवतार चौधरी का कहना है कि हमारे यहां स्वच्छता अभियान के नाम पर गांव में जमकर शौचालय तो बना दिए गए लेकिन उनमें पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। जिन शौचालय में पानी की व्यवस्था है उनमें शौचालय से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी सही तरीके से नहीं हो पा रही, जिसके कारण मलेरिया व वायरल फल फूल रहा है। साथ ही उन्होंने सिस्टम पर तंज कसते हुए कहा कि हमारे देश में मलेरिया से निपटने की नीति ही अलग है। पहले मरीज बनो फिर उसका उपचार किया जाता है। जबकि होना यह चाहिए कि मलेरिया की रोकथाम के लिए प्रयास पहले से ही किए जाने चाहिए। नीम के अलावा कई ऐसी वन औषधियां हैं जिनके प्रयोग से भी मलेरिया मच्छर उन्मूलन की दवाएं तैयार की जा सकती है।

खरीफ फसलों पर भी पड़ रहा बारिश का असर : वहीं देरी से हो रही बारिश का असर क्षेत्र की खरीफ फसलों पर भी पड़ रहा है। मई माह की शुरुआत में हुई बारिश के दौरान लगाई गई बाजरे की फसल पछेती बारिश के कारण बर्बाद हो रही है। क्षेत्र के कई हिस्सों में लगाई गई प्याज की फसल को भी इस बरसात के कारण भारी नुकसान हो रहा है। खंड के गांव कालरपुरी में भी जलभराव के कारण बाजरे की फसल बर्बाद हो गई। हालांकि जिन किसानों ने देरी से बाजरे की बिजाई की थी उनकी फसलों के लिए यह बारिश फायदेमंद है। इस बारिश से बाजरे की पछेती फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होना निश्चित है।

- अबकी बार मच्छरों की कई नई प्रजातियां सामने आ रही हैं। अब उन जगहों भी मच्छरों की भारी संख्या देखने को मिल रही है जहां जलभराव जैसी कोई समस्या नहीं है। बुखार का स्वरूप भी अबकी बार कुछ बदला नजर आ रहा है।

डा. हकीकत राय गोगिया, पूर्व प्रवर चिकित्सा अधिकारी

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