नौ महीने बाद भी विकास की बाट जोह रही हैं जिले की ऐतिहासिक धरोहरें

क्रासर गत वर्ष बजट सत्र 2021-22 में नूंह का चूही महल तालाब पुराना तहसील परिसर व तावडू के

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 06:22 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 06:22 PM (IST)
नौ महीने बाद भी विकास की बाट जोह रही हैं जिले की ऐतिहासिक धरोहरें
नौ महीने बाद भी विकास की बाट जोह रही हैं जिले की ऐतिहासिक धरोहरें

क्रासर : गत वर्ष बजट सत्र 2021-22 में नूंह का चूही महल तालाब, पुराना तहसील परिसर व तावडू के ऐतिहासिक मकबरों की सरकार द्वारा संरक्षण में लेने की घोषणा के बावजूद हालात जस के तस।

फोटो- 08 एमडब्ल्यूटी 21, 22, 23

शीशपाल सहरावत, तावडू : प्रदेश सरकार द्वारा 2021-22 बजट में प्रविधान करते हुए जिले की ऐतिहासिक धरोहरों को सरकार के संरक्षण में लेने की घोषणा की गई। घोषणा के बाद क्षेत्र के लोगों को अपना अस्तित्व खो रही इन इमारतों को नया जीवनदान मिलने की उम्मीद जगी थी। लोगों को लगने लगा था कि इन ऐतिहासिक धरोहरों के जीर्णोद्धार के बाद क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलने के साथ ही रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, लेकिन घोषणा के नौ महीने बीत जाने के बाद भी इनकी कोई सुध नहीं ली गई है। इसके चलते क्षेत्र के लोगों में रोष है।

मुगलों तथा अंग्रेजों के आकर्षण का रहा केंद्र:

प्रदेश के अंतिम छोर पर बसा जिला नूंह अपने पिछड़ेपन के लिए जाना जाता है। जिले के क्षेत्र में अरावली की हरी-भरी श्रृंखला में कई प्रकार के वन्यजीवों का भी बसेरा है। कभी यह क्षेत्र मुगलों तथा अंग्रेजी हुकूमत के भी आकर्षण का प्रमुख केंद्र रहा था। यहां पर अंग्रेजों तथा मुगलकालीन शासकों ने अपने शासनकाल में कई प्राचीन इमारतों का निर्माण कराया। अंग्रेज इस क्षेत्र में शिकार इत्यादि का शौक भी पूरा करते थे। समय बीतने के साथ ही प्रशासन की अनदेखी के चलते यह इमारतें तथा मकबरे अपना अस्तित्व खोने की कगार पर पहुंच चुके थे। इसके बाद जब वर्तमान सरकार ने नूंह के पुरानी तहसील परिसर, चूही महल का तालाब और तावडू के ऐतिहासिक मकबरों को संग्रहालय के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया, तो लोगों ने सरकार की इस घोषणा का खुले मन से स्वागत किया। लोगों में उम्मीद जगी कि इन ऐतिहासिक धरोहरों के संग्रहालय में विकसित होने के बाद यहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही रोजगार के भी नए अवसर पैदा होंगे। अब तक प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। प्रशासन की अनदेखी का असर यह रहा कि लोगों ने इन बेशकीमती धरोहरों पर गोबर के उपले आदि लगाकर अस्थाई कब्जा जमा लिया। लोगों की मांग है कि प्रशासन इन ऐतिहासिक धरोहरों के अस्तित्व को बचाकर त्वरित जीर्णोद्धार कराए।

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सरकार सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित है, धरातल पर कहीं कुछ नहीं कर पा रही है। मेवात कैनाल फीडर को लेकर कई बार घोषणाएं की गई लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण की घोषणा भी क्षेत्र की जनता के साथ महज छलावा है।

- चौधरी आफताब अहमद, उप नेता विपक्ष और विधायक, नूंह

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