ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के आह्वान पर मजदूरों व कर्मचारियों ने किया रोष प्रदर्शन

10 ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के संयुक्त आहवान पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत जिला महेंद्रगढ़ के मजदूर-कर्मचारियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:29 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:29 PM (IST)
ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के आह्वान पर मजदूरों व कर्मचारियों ने किया रोष प्रदर्शन
ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के आह्वान पर मजदूरों व कर्मचारियों ने किया रोष प्रदर्शन

जागरण संवाददाता, नारनौल: 10 ट्रेड यूनियनों व फेडरेशनों के संयुक्त आहवान पर बृहस्पतिवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल के तहत जिला महेंद्रगढ़ के मजदूर-कर्मचारियों ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने चितवन वाटिका में अध्यक्षीय मंडल कौशल कुमार यादव जिला प्रधान सर्व कर्मचारी संघ व मास्टर सूबे सिंह जिला प्रधान, एआइयूटीयूसी विपिन कुमार बसई जिला प्रधान इंटक की अध्यक्षता में रोष सभा आयोजित की। इसके बाद जुलूस के रूप में अपनी मांगों व बैनर की पट्टिकाओं के साथ महावीर चौक होते हुए रोडवेज वर्कशाप के सामने सरकार के खिलाफ आक्रोश प्रकट किया और जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शन को मास्टर महेश यादव, कृष्णा देवी, महेन्द्र बोयत,मधु देवी, मास्टर धर्मपाल शर्मा, कृष्ण कुमार पीटीआइ, मास्टर कृष्ण कुमार, किरोड़ीमल सैनी, तेजपाल, सीताराम प्रधान, धर्मपाल, राजबाला मनरेगा मजदूर संगठन, नीरज कुमार प्रधान रोडवेज, परिचय हाजीपुर, सुजीत एटक, शेरसिंह ने भी संबोधित किया।

एसयूसीआइ ( कम्युनिस्ट) के जिला सचिव कामरेड ओमप्रकाश ने हड़ताल का समर्थन व्यक्त किया।

वक्ताओं ने सरकार पर मजदूर व कर्मचारी विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए रोष प्रकट किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद मजदूरों के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को याद करते हुए मजदूरों की मांगों व श्रमिक हितैषी कानून लागू किए गए थे। मजदूरों को यूनियन व संगठन बनाने के लोकतान्त्रिक अधिकार, 8 घंटे काम करने का अधिकार, हड़ताल का अधिकार, जीवन जीने योग्य मजदूरी का अधिकार, समानता का अधिकार, समान काम का समान वेतन, मातृत्व लाभ, अभिव्यक्ति का अधिकार, साप्ताहिक अवकाश देश के संविधान का हिस्सा बने। उन्होंने आरोप लगाया कि आज संघर्षों से हासिल श्रम हितैषी कानूनों को पूंजीपतियों के स्वार्थ में मजदूरों से छिनने का काम सरकार कर रही है। देश के मजदूरों ने सार्वजनिक क्षेत्र की बुनियाद रखने में महती भूमिका निभाई है, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। सामाजिक क्षेत्र ने ही देश की अर्थव्यवस्था व संप्रभुता को बार- बार बचाया है। ऐसे में देश के

नवरत्न कहे जाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र

को कौड़ियों के भाव बेचना देश व जनता के हित में नहीं है।

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