नगर परिषद व ग्राम पंचायत के बीच फंसे गांव साफ सफाई को मोहताज
गांवों की दशा सुधारने व शहर जैसी सुविधाएं बहाल करने के लिए पांच साल पहले नारनौल नगर के पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद जिन गांवों को शामिल करने का प्रयास किया गया था।
बिरंचि सिंह, नारनौल : गांवों की दशा सुधारने व शहर जैसी सुविधाएं बहाल करने के लिए पांच साल पहले नारनौल नगर के पांच किलोमीटर के दायरे में मौजूद जिन गांवों को शामिल करने का प्रयास किया गया था। उनमें से सात गांव ही परिषद में शामिल हो पाए। आपत्ति और सुझाव के बाद शेष आधे गांवों को ग्राम पंचायतों के अधीन छोड़ दिया गया। उम्मीद थी कि इस फैसले के बाद नगर परिषद और ग्राम पंचायतें अपने अपने हिस्से के गांवों का विकास करेंगी। लेकिन इन गांवों की कोई सुध नहीं ले रहा है। नगर परिषद और ग्राम पंचायत के गांवों के हालात एक से बने हुए हैं। नारनौल नगर के उत्तर में स्थित नसीबपुर गांव नगर परिषद का हिस्सा है जबकि नारनौल नगर के पश्चिम में स्थित रघुनाथपुरा ग्राम पंचायत के अधीन है। दोनों गांव में एक समानता यह है कि दोनों पहाड़ी के समीप बसे हुए हैं। गांव ढलान पर है। ऐसे में ऊपर की ओर से गांव के घरों का गंदा पानी नीचे की तरफ तेजी से जरूर पहुंच जाता है लेकिन साफ सफाई नहीं होने की वजह से गलियों का गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। गांव के मुहाने पर कूड़े का ढेर लगा हुआ है। साफ सफाई तक नहीं हो रही है। ऐसे में ग्रामीण फंसे फंसे महसूस कर रहे हैं। नसीबपुर निवासी मनीष ने कहा कि ग्रामीणों के विरोध के बावजूद उनके गांव को नगर परिषद में शामिल कर दिया गया। अभी दो माह पहले नगर परिषद ने उन गांवों की जिम्मेवारी ले ली है जो गांव उनके अधीन आ चुके हैं। जब नए कर्मचारी बहाल होंगे तभी गांवों की साफ सफाई शुरू हो पाएगी।
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नसीबपुर और रघुनाथपुरा सहित जिन गांवों को नगर परिषद में शामिल करने को लेकर 2017 में अधिसूचना जारी हुई थी। इसमें नसीबपुर, नूनी अव्वल, पटीकरा, शेखपुरा, ताजीपुर (बेचिराग) व लुतुफपुर (बेचिराग) शामिल हो सके। अभी तक इन गांवों की जिम्मेदारी नगर परिषद को नहीं मिली है। मीरपुर, कोजिदा, शाहरपुर अवल, रघुनाथपुरा, किरारोद अफगान, व रसूलपुर (बेचिराग) ने अपने आप को इससे अलग रखा। सरपंचों का कार्यकाल इसी वर्ष जनवरी माह में समाप्त हो चुका है ऐसे में इन गांवों का विकास कार्य भी अवरुद्ध पड़ा है। -----------
23 फरवरी के पहले तक गांव की दुरुस्त थी। चूंकि इसके बाद सरपंच का कार्यभार ले लिया गया। तब से अब तक साफ सफाई नहीं हुई। जब तक गांवों की नियमित सफाई शुरू नहीं होती। तब तक ग्रामीणों को साफ सफाई का स्वयं ही ध्यान रखना होगा
--हरपाल, निवर्तमान सरपंच नसीबपुर।
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गांव में परिवार बढ़े हैं इसलिए जरूरत से ज्यादा पानी का उपयोग हो रहा है। इसलिए नालियों का गंदा पानी सड़कों पर आ जा रहा है। गांव में कुड़ा डालने के लिए जगह नहीं है इसलिए माह में एक बार कू़ड़े को हटाया जाता है और पालीथिन की थैलियों को ठिकाना लगाया जाता है। गांव में अभी तक एक ही सफाईकर्मी से काम चलाया जा रहा था लेकिन जरूरत को देखते हुए खंड विकास पदाधिकारी से एक सफाईकर्मी की मांग की है।
--कर्मवीर, निवर्तमान सरपंच, रघुनाथपुरा।