विधि विधान से होनी चाहिए स्कंदमाता की पूजा

नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की पूजा की जाती है जिसका नाम स्कंदमाता है। कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता का नाम दिया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:14 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:14 PM (IST)
विधि विधान से होनी चाहिए स्कंदमाता की पूजा
विधि विधान से होनी चाहिए स्कंदमाता की पूजा

संवाद सहयोगी, कनीना: नवरात्र के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप की पूजा की जाती है जिसका नाम स्कंदमाता है। कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता का नाम दिया गया है। भगवान स्कंद बाल बाल रूप में माता की गोद में विराजमान हैं। ये विचार खाटू श्याम मंदिर कनीना के पुजारी पंडित प्रदीप शास्त्री ने मंदिर में व्यक्त किये।

माता की पूजा कैसे करें-

सबसे पहले माता के लिए चौकी पर स्कंदमाता की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए इसके बाद शुद्धिकरण करने के लिए पंचगव्य तैयार करना चाहिए जिसके लिए हमें गोमूत्र गाय का गोबर गाय का घी गाय का दही गाय का दूध एक पात्र में एकत्रित करके पंचगव्य तैयार करें और उसे ग्रहण करें जिस स्थान में पूजा कर रहे उस स्थान में भी इसका छिड़काव करें और माता रानी के लिए चौकी के बगल में चांदी या मिट्टी के घड़े में जल भरकर कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसके बाद हमें मन में संकल्प लेना चाहिए कि है माता यथाशक्ति यथा भक्ति पूजा कर रहे हैं। जो हमारा सामर्थ है उस हिसाब से हम आपकी सेवा में हाजिर हुए हैं, अपना बालक मानकर हमें क्षमा करें। वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों के द्वारा स्कंदमाता सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें माता का आवाहन करना चाहिए। जिसके लिए हमें आसन, आचमन,स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, बिल पत्र, दूर्वा, सिदूर, आभूषण, पुष्प हरा पुष्प माता को प्रिय है। हरा पुष्प चढ़ाना चाहिए सुगंधित द्रव्य धूप में फल और माता से क्षमा याचना करनी चाहिए तत्पश्चात वितरण करके पूजा संपन्न करें पंचमी तिथि की अष्टधातु देवी स्कंदमाता हैं, जिन व्यक्तियों को संतान का अभाव हो वे माता की पूजन अर्चन तथा मंत्र जाप कर लाभ उठाएं।

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