नारनौल में बनते थे चांदी व तांबे के सिक्के

रुपया-पैसा जब भी इसका जिक्र होता है तो हर किसी का एकाएक ध्यान आकर्षित होता है। हो भी क्यों नहीं रुपया भगवान तो नहीं है पर कुछ लोग भगवान से कम भी नहीं मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छह एशियाई देशों को रुपये व पैसे के रूप में करेंसी देने वाला शेरशाह सूरी था और उसका जन्म नारनौल में हुआ था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 26 Nov 2020 06:56 PM (IST) Updated:Thu, 26 Nov 2020 06:56 PM (IST)
नारनौल में बनते थे चांदी व तांबे के सिक्के
नारनौल में बनते थे चांदी व तांबे के सिक्के

बलवान शर्मा, नारनौल: रुपया-पैसा, जब भी इसका जिक्र होता है तो हर किसी का एकाएक ध्यान आकर्षित होता है। हो भी क्यों नहीं, रुपया भगवान तो नहीं है पर कुछ लोग भगवान से कम भी नहीं मानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि छह एशियाई देशों को रुपये व पैसे के रूप में करेंसी देने वाला शेरशाह सूरी था और उसका जन्म नारनौल में हुआ था। शेरशाह सूरी के दादा इब्राहीम सूरी का मकबरा आज भी नारनौल शहर के बीच में सुरक्षित अवस्था में मौजूद है। इस मकबरे का निर्माण शेरशाह सूरी ने अपने दादा की कब्र पर प्रसिद्ध वास्तुशिल्पी शेख अहमद नियाजी की निगरानी में करवाया था। इब्राहीम शाह की मृत्यु नारनौल में हिजरी 727 )ई.1518 में हुई थी। यह स्मारक अपनी विशालता,बड़े मेहराबों, चित्रित छत, प्रस्तर, छतरी, प्रस्तर गुलदस्ते एवं चमकीली पच्चीकारी के लिए प्रसिद्ध है। इसमें लगे लाल व नीली आभा वाले घूसर पत्थर इसके सौंदर्य को और भी बढ़ा देते हैं। यह मकबरा वर्गाकार ऊंचे चबूतरे पर बना है। नारनौल के इतिहास पर 20 से अधिक शोध प्रकाशित कर चुके इतिहासकार एडवोकेट रतनलाल सैनी बताते हैं कि उन्होंने इसी मकबरे के पीछे सिक्के बनाने की टक्साल अपनी आंखों से देखी है। हालांकि फिलहाल ये टक्साल पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। उन्होंने विशेष बातचीत में बताया कि नारनौल में बनाए गए सिक्के आज भी सुरक्षित हैं। इनमें शेरशाह सूरी, आदिलशाह सूरी, अकबर, औरंगजेब के जमाने के सिक्के शामिल हैं।

रतनलाल सैनी पिछले 40 साल से नारनौल के इतिहास पर कार्य कर रहे हैं और उनके लेख लंदन की मैगजीन में भी प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा नारनौल के इतिहास पर एक इंटेक की पुस्तक भी कई वर्ष पूर्व प्रकाशित हो चुकी है। यह पुस्तक दिल्ली की अधिकांश ट्रेवल एजेंसियों के पास भी मुहैया करवाई हुई है।

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शेरशाह सूरी ने बनवाए थे नारनौल में 308 कुएं

रतनलाल सैनी बताते हैं कि शेरशाह सूरी को अपने दादा व नारनौल से विशेष प्यार था। स्थानीय निवासियों की पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए उन्होंने एक ही साइज के 308 कुएं भी बनवाए थे। इनमें से करीब 17-18 कुएं आज भी मौजूद हैं। उन्होंने बताया कि खेतड़ी पहाड़ी की रेंज नारनौल में होने की वजह से यहां पर तांबे की माइनिग उस जमाने में भी होती थी और इसी तांबे से यहां पर सिक्के बनाए जाते थे। नारनौल में केवल चांदी व तांबे के ही सिक्के बनते थे, जबकि आगरा में सोने के सिक्के भी बनाने की टक्साल होती थी।

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