शहीद शेर सिंह को किया याद

कनीना नेताजी मेमोरियल क्लब 1971 के शहीद शेर सिंह को याद किया गया। शहीद के परिजन नौरंग एवं लीलू ने भी अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाते रहे और देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 06:19 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 06:19 PM (IST)
शहीद शेर सिंह को किया याद
शहीद शेर सिंह को किया याद

संवाद सूत्र, कनीना: कनीना नेताजी मेमोरियल क्लब 1971 के शहीद शेर सिंह को याद किया गया। शहीद के परिजन नौरंग एवं लीलू ने भी अपनी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपने साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के छक्के छुड़ाते रहे और देश की सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। शहीद शेर सिंह का जन्म 20 जून 1940 को कनीना में एक गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। अपने पिता फजर अली खान की सबसे बड़ी संतान थे। वे आठ भाई बहन थे। 20 जून 1963 को हुए 15 राजपूत रेजिमेंट में भर्ती हो गए। दो साल बाद ही 1965 के युद्ध में राजपूत रेजिमेंट को मोर्चे पर भेजा गया।

अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए इस बटालियन ने पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए। बटालियन के इस सपूत को जीएस मैडल -1947, नागा हिल्स, रक्षा मेडल-1965 से नवाजा गया। उसके बाद पांच वर्ष ही बीते थे की 1971 में फिर शेर सिंह की बटालियन को पुन: मोर्चे पर भेजा। वीर शेर सिंह को बहुत खुशी हुई और उन्होंने अपने घर पत्र लिखा जिसमें लिखा था की वे अपनी बटालियन के साथ ढाका जा रहे हैं। यह उनकी यह आखिरी यात्रा रही। 8 दिसंबर को युद्ध के मैदान में दुश्मन की गोली उनके मुंह को चीरती हुई पार निकल गई।

बटालियन के साथियों ने उनको अस्पताल में भर्ती करवा दिया, लेकिन कुछ ठीक होने पर नौ दिसंबर को सीमा पर दुश्मनों से लोहा लेते समय एक दुश्मन का गोला उनके सिर पर आ गिरा और वीर शेर सिंह सदा सदा के लिए अपनी धरती मां की गोद में समा गए और अपने देश के नाम अमर हो गए। इस मौके पर लीलूखान, अमर सिंह, पूर्व प्रधान राजेन्द्र लोढा, पप्पू, नौरंगखान, नितिन, मास्टर, नेमचंद, वार्ड नंबर एक के पार्षद दलीप सिंह मौजूद रहे।

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