लगे हाथ एसवाईएल का मुद्दा सुलझाने का सही अवसर: डा. अभय सिंह यादव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की पृष्ठभूमि में नांगल चौधरी के विधायक डाक्टर अभय सिंह यादव ने अपनी पुरानी बात को एक बार पुन दोहराते हुए कहा कि हरियाणा एवं पंजाब के किसानों का भाईचारा जिस तरह से पिछले एक साल में विकसित हुआ है वह दोनों राज्यों के लिए एक अभूतपूर्व वरदान का काम कर सकता है।
जागरण संवाददाता, नारनौल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की घोषणा की पृष्ठभूमि में नांगल चौधरी के विधायक डाक्टर अभय सिंह यादव ने अपनी पुरानी बात को एक बार पुन: दोहराते हुए कहा कि हरियाणा एवं पंजाब के किसानों का भाईचारा जिस तरह से पिछले एक साल में विकसित हुआ है, वह दोनों राज्यों के लिए एक अभूतपूर्व वरदान का काम कर सकता है। डा. यादव ने कहा कि एसवाईएल नहर का निर्माण समस्त हरियाणा के विकास के लिए एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग एसवाईएल नहर को केवल दक्षिण हरियाणा से जोड़ कर देखते हैं, वह यह भूल रहे हैं कि भाखड़ा से हरियाणा को वर्तमान में मिल रहे पानी के हिस्से को लाने के लिए भी एसवाईएल नहर का निर्माण अति आवश्यक है।
विधायक डाक्टर अभय सिंह यादव ने इसे आगे विस्तार से बताते हुए कहा कि फिलहाल पंजाब से अतिरिक्त पानी लाने की बात को नहर के निर्माण से अलग करके देखने की आवश्यकता है। हरियाणा के हिस्से के पानी की अधिकांश मात्रा नरवाना ब्रांच के माध्यम से ही लाया जा रहा है, जो कई दशकों से मरम्मत न होने के कारण जर्जर हालत में पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि नरवाना ब्रांच का विकल्प केवल एसवाईएल नहर ही है। इसके पूरे हुए बगैर नरवाना ब्रांच को मरम्मत के लिए भी बंद नहीं किया जा सकता।
नहर निर्माण का मार्ग प्रशस्त नहीं हुआ: विधायक ने यह बात पहले भी इसी संदर्भ में कही थी कि हरियाणा और पंजाब के किसानों की आपसी समझ किसान आंदोलन के परिपेक्ष में काफी बढ़ी है और उन्हें एक दूसरे की परिस्थितियों को समझने का इस आंदोलन ने एक अवसर दिया है। एसवाईएल पर न्यायिक फैसले होने के बाद भी नहर निर्माण का मार्ग प्रशस्त नहीं हो पाया है। इसकी वास्तविकता यह है कि इस मामले में पंजाब के किसान की इच्छाशक्ति व सहमति किसी भी सरकार के लिए नहर निर्माण को आसान बना सकती है। इस मामले पर राजनीतिक पार्टियों की सोच और उनके दावों प्रतिदावों से ऊपर उठकर दोनों राज्यों के किसानों को आपसी सहमति और समझ बनानी होगी। इसका अब सही अवसर है। पानी किसान और किसानी की जीवन रेखा है। अत: किसी पड़ोसी देश में व्यर्थ में पानी बहाने से अच्छा तो उसको रोक कर पंजाब और हरियाणा द्वारा आपस में बैठकर अपने हितों की रक्षा के लिए अपने उपयोग में लाना राष्ट्र हित में होगा।