इंदौर से सीखें स्वच्छता का पाठ

मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की। स्वच्छता के मामले में शहर के हालात कुछ ऐसे ही हैं। उम्मीद थी कि स्वच्छता रैंकिग में रेवाड़ी नगर परिषद इस बार कुछ बेहतर करेगी लेकिन यहां तो स्थिति बेहद बुरी हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 21 Nov 2021 10:54 PM (IST) Updated:Sun, 21 Nov 2021 10:54 PM (IST)
इंदौर से सीखें स्वच्छता का पाठ
इंदौर से सीखें स्वच्छता का पाठ

अमित सैनी, रेवाड़ी

मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की। स्वच्छता के मामले में शहर के हालात कुछ ऐसे ही हैं। उम्मीद थी कि स्वच्छता रैंकिग में रेवाड़ी नगर परिषद इस बार कुछ बेहतर करेगी, लेकिन यहां तो स्थिति बेहद बुरी हो गई। स्वच्छता सर्वेक्षण में पिछले साल के मुकाबले इस साल रेवाड़ी की रैंकिग 72 पायदान नीचे गई है। 2020 में रेवाड़ी ने 146 स्थानों की लंबी छलांग लगाते हुए देशभर में 118वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन 2021 में रैंक 190 पर पहुंच गई। हमारे हालात बुरे होने का कारण नगर परिषद की कुर्सियों पर बैठे वो अधिकारी हैं जिनको अपने दफतरों से बाहर निकलकर शहर की सुध लेने की कोई चिता ही नहीं है। हमसे कई गुना बड़ा शहर इंदौर स्वच्छता रैंकिग में पांचवीं बार देश का सिरमौर बना है। इंदौर से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। वो पांच मंत्र जो इंदौर के पास है, रेवाड़ी के पास नहीं: आखिरकार इंदौर में ऐसा क्या है जो रेवाड़ी में नहीं है। इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए हमने इंदौर की सफाई व्यवस्था की पड़ताल की। इंदौर के पास वो पांच मंत्र हैं, जिनके कारण वह पांचवीं बार देशभर में नंबर वन शहर बना है। ये पांच मंत्र तमाम प्रयासों के बावजूद भी रेवाड़ी नगर परिषद हासिल नहीं कर पाई है। पहला मंत्र: कचरा अलग-अलग करना:

इंदौर में घरों से जो कचरा एकत्रित किया जाता है, उसे लोग ही अलग-अलग कर के कचरा गाड़ी में डालते हैं। गीला, सूखा, सैनिटरी पैड-डायपर, ई-वेस्ट, घरेलू हानिकारक कचरा और प्लास्टिक का कचरा लिया जा रहा है।

रेवाड़ी में कचरा एकत्रित करने के लिए गाड़ियां तो चल रही हैं, लेकिन आज तक गीला और सूखा कचरा अलग-अलग करने की कोई व्यवस्था ही नहीं है। अगर गीला और सूखा कचरा अलग कर भी दिया जाए तो इसके निपटान की कोई व्यवस्था नगर परिषद आजतक भी नहीं कर पाई है। दूसरा मंत्र: कचरा निपटान

इंदौर में गीले कचरे से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाई जाती है। गीले कचरे से सीएनजी (काम्पैक्ट नेचुरल गैस) बनाई जाती है। इसका प्रयोग सिटी बसों में ईंधन के रूप में होता है। खाद किसानों व नागरिकों को बेची जाती है।

रेवाड़ी नगर परिषद की ओर से कभी इस दिशा में प्रयास ही नहीं हुए। चाहते तो हम भी गीले कचरे को जैविक खाद, सीएनजी बनाने में इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इतना ध्यान देने की जरूरत आजतक भी अधिकारियों ने नहीं समझी है। आज भी कचरा गलियों में फैला रहता है। हम उचित डंपिग यार्ड तक की व्यवस्था नहीं कर पाए हैं। तीसरा मंत्र: जनभागीदारी

इंदौर में नागरिकों को स्वच्छता के लिए तैयार करने और शिक्षित करने का सबसे महत्वपूर्ण काम किया गया। इसके लिए स्वयंसेवी संस्थाओं, सामाजिक संगठनों, स्थानीय संगठनों की मदद ली गई। इससे लोगों को नया सिस्टम समझने में आसानी हुई।

रेवाड़ी में नगर परिषद की ओर से ऐसा प्रयास एक दिन भी नहीं किया गया, जिससे कि शहर की सामाजिक संस्थाएं उनसे जुड़ सके। यहां जो संस्थाएं अपने स्तर पर काम कर रही है नगर परिषद ने उनकी मदद के लिए कोई काम नहीं किया। इतना ही नहीं शहरवासियों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने की दिशा में भी कोई कदम आज तक नहीं उठाए गए हैं। चौथा मंत्र: फोर आर पर काम

इंदौर शहर में फोर आर यानी रियूज, रिसाइकिल, रिड्यूज और रिफ्यूज पर काम हुआ। रियूज, रिसाइकिल के तहत घरों के वेस्ट मटेरियल से सजावट की चीजें बनाई गईं और शहर में दो फोर आर गार्डनों में लगाई गईं। रिड्यूज के तहत प्लास्टिक डिस्पोजल और पालीथिन की थैलियों पर रोक लगाई। रिफ्यूज के तहत लोगों में जागरूकता फैलाई कि वह प्लास्टिक का उपयोग करना बंद करें।

रेवाड़ी शहर में एक भी आर पर काम नहीं हो रहा है। पालीथिन का आज भी धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। वेस्ट मटेरियल को लेकर कोई काम नहीं हुआ है। पार्कों की कोई सुध नहीं ली गई है तथा ज्यादातर पार्क बदहाल स्थिति में ही है। पांचवां मंत्र: वाटर प्लस सिटी

इंदौर नगर निगम ने शहर की कान्ह व सरस्वती नदी में नाला टेपिग की और सीवरेज का गंदा पानी इसमें मिलने से रोका। सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पानी को उपचारित कर इसे नदियों में छोड़ा गया।

रेवाड़ी को ओडीएफ प्लस प्लस का दर्जा तो मिल गया है लेकिन आज भी सीवर सिस्टम पूरी तरह से फेल है। हर गली-हर मोहल्ले में सीवर ओवरफ्लो की समस्या है। इतना ही नहीं शहर में दर्जनों स्थानों पर कचरा सड़क पर ही फैला रहता है जिसमें दिनभर पशु मुंह मारते हैं। दो टूक:

नगर परिषद चेयरपर्सन पूनम यादव से स्वच्छता को लेकर बातचीत:

सवाल: स्वच्छता रैंकिग में रेवाड़ी नगर परिषद 72 पायदान नीचे फिसली है। क्या कारण रहा।

जवाब: रेवाड़ी की रैंकिग खराब होना निश्चित तौर पर चिताजनक है। मैं सोमवार को इस मामले में अधिकारियों के साथ बैठक कर रही हूं। रैंकिग नीचे गिरने के जो भी कारण रहे होंगे उनको दूर किया जाएगा।

सवाल: सफाई के नाम पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं, लेकिन सुधार नजर नहीं आ रहा।

जवाब: सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए हम शीघ्र ही नया टेंडर छोड़ रहे हैं। शहर से कचरा उठान के लिए अधिक वाहन चलाए जाएंगे तथा सफाई कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ेगी।

सवाल: अगले स्वच्छता सर्वेक्षण में क्या हम बेहतर रैंकिग की उम्मीद कर सकते हैं।

जवाब: इस बार मैं खुद शहर की सफाई व्यवस्था को मानिटर करुंगी। उम्मीद है कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में हमारी रैंकिग काफी बेहतर होगी। हम टाप पचास शहरों में शामिल होने का प्रयास करेंगे।

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