विचाराधीन बंदी ने जेल में लगाई फांसी

जिला जेल नसीबपुर में विचाराधीन बंदी करीब 40 वर्षीय सुरेंद्र पुत्र लालाराम यादव वासी गोद ने बैरिक के शौचालय के जंगले से रस्सी द्वारा फंदा लगा लिया जिससे उसकी मौत हो गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Feb 2020 05:25 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 05:25 PM (IST)
विचाराधीन बंदी ने जेल में लगाई फांसी
विचाराधीन बंदी ने जेल में लगाई फांसी

जागरण संवाददाता, नारनौल : जिला जेल नसीबपुर में विचाराधीन बंदी करीब 40 वर्षीय सुरेंद्र पुत्र लालाराम यादव वासी गोद ने बैरिक के शौचालय के जंगले से रस्सी द्वारा फंदा लगा लिया, जिससे उसकी मौत हो गई। घटना मध्य रात्रि की है और जेल स्टॉफ को इसकी जानकारी रात्रि करीब एक बजे जांच के दौरान लगी। प्रात:काल को मृतक के परिजनों को सूचित किया गया। सुरेंद्र अपने ही चाचा को छत से गिराने एवं बाद में उसकी मौत हो जाने पर दर्ज मुकदमे में बंद था। वह एक सुसाइड नोट भी छोड़कर गया है, जिसमें उसने कुछ लोगों पर आरोप लगाए हैं।

जानकारी के मुताबिक मध्य रात्रि को गोद निवासी सुरेंद्र ने जेल में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। रात्रि को जांच के दौरान वहां तैनात जेल कर्मचारियों को जानकारी मिली तो उच्चाधिकारियों को सूचना दी। बाद में ड्यूटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार के पहुंचने पर आवश्यक कार्रवाई शुरू की गई। प्रात:काल करीब छह बजे यह सूचना मृतक के परिजनों को भी दी गई और वह नारनौल पहुंचे। परिजनों को मौका मुआयना कराने के उपरांत शव को पोस्टमार्टम के लिए नागरिक अस्पताल पहुंचाया गया। मृतक एक सुसाइड नोट भी छोड़ गया है, जिसमें उसने करीब आधा दर्जन को जिम्मेदार ठहराया है।

चार महीने पहले 19 अक्टूबर की शाम को गांव गोद में सुरेंद्र का चाचा राजेंद्र छत से गिर गया था और उसे उपचार के लिए भर्ती कराया गया था। मगर उसकी 9 दिन बाद दिल्ली के अस्पताल में 23 अक्टूबर 2019 को मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने सुरेंद्र के खिलाफ धारा 304 का मुकदमा दर्ज किया था। इसी मुकदमे में सुरेंद्र पिछले साढ़े तीन महीनों से जेल में बंद था।

सुरेंद्र के पिता लालाराम ने बताया कि मेरा भाई राजेंद्र शराबी किस्म का था और मेरे बेटे सुरेंद्र को साजिश के तहत झूठा फंसा दिया। उन्होंने बताया कि इस केस में राजीनामा के नाम पर राजेंद्र के परिवारवालों ने उनकी 7 बीघा जमीन भी ले ली और केस भी वापस नहीं लिया। वह धमकी देते थे कि तुम्हारे परिवार को बर्बाद कर देंगे और पहले जैसे उसे जेल में भेजा, उसके बेटों को भी जेल में डलवा देंगे। सुरेंद्र इसी वजह से परेशान रहता था और जब वह जेल में मिलने जाता था तो इसकी चर्चा करता था। इनके धोखे के कारण ही उसने ऐसा कदम उठाया है। लालाराम ने बताया कि दयानंद, अजय, श्याम सुंदर, सुनील, सुभाष, मुन्नी व अनिल आदि 7-8 लोग उसकी मौत के जिम्मेदार हैं। ड्यूटी मजिस्ट्रेट की निगरानी में पुलिस ने आवश्यक कार्रवाई की और शव का पोस्टमार्टम करा उसे परिजनों को सौंप दिया। सुरेंद्र खेतीबाड़ी करता था और उसके दो मासूम बेटे हैं।

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