अटेली में बिना बालक का बाल भवन
सुभाष यादव मंडी अटेली स्थानीय कस्बे में बना बाल भवन अब बिना बच्चों के ही चल रहा है। मूलभूत
सुभाष यादव, मंडी अटेली: स्थानीय कस्बे में बना बाल भवन अब बिना बच्चों के ही चल रहा है। मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते बाल भवन दम तोड़ने के कगार पर है। खंडहर अवस्था में पहुंचे भवन में बैठने से भी डर लगता है। बाल भवन को आंगनबाड़ी केंद्रों के अधीन कर दिया गया है। अब केवल इसका नाम ही बाल भवन है। कस्बे के लोगों की मांग पर इसका शिलान्यास 14 नवंबर 1994 को तत्कालीन विकास एवं पंचायत मंत्री स्वर्गीय राव बंशी सिंह ने किया तथा इसका शुभारंभ 8 अक्टूबर 1999 को तत्कालीन जिला उपायुक्त डा. श्याम सुंदर ने किया। इस भवन को निर्मित हुए 20 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन क्षेत्र के लोगों को इसका वास्तविक लाभ नहीं मिला। बाल भवन नाम का रह गया है। कर्मचारियों की मानें तो कोरोना के चलते इस साल बच्चों को बुलाने के आदेश नहीं मिले हैं। आदेश मिलने के बाद बच्चों को यहां बुलाया जाएगा। लोगों ने जिस उम्मीद के साथ बाल भवन यहां बनवाया, उसका लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है। सिलाई सिखाने वाली कर्मचारी यहां लगी हुई थी, उनको भी अन्यत्र सिफ्ट कर दिया गया है। अब बाल भवन में एक भी बच्चे नहीं हैं। यहां एक कर्मचारी लगा हुआ है। स्थानीय लोगों की प्रशासन से मांग है कि बाल भवन में सफाई, पेयजल की व्यवस्था व इसकी परिधि में पार्क का निर्माण करवाये, ताकि बच्चे इसमें खेल सकें। इस संबंध में बाल भवन के क्लर्क बलवान से बात हुई तो उन्होंने बताया कि अब एक भी बच्चा नहीं आ रहा है। कोविड-19 के चलते भी बच्चों को बुलाया नहीं गया है।