विक्रम उर्फ पपला गिरोह ने उजाड़ दिया था परिवार, जज का फैसला सुनकर नम हुई फरियादियों की आंखे, पढ़िए पूरा मामला

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर जीवन की अदालत ने जैसे ही फैसला सुनाया तो पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने तुरंत फरियादी दुड़ाराम व उसके भतीजे राकेश को फोन पर जानकारी दी। फैसला सुनकर फरियादियों का गला रुंध गया और आवाज भारी हो गई ।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 05:05 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 05:05 PM (IST)
विक्रम उर्फ पपला गिरोह ने उजाड़ दिया था परिवार, जज का फैसला सुनकर नम हुई फरियादियों की आंखे, पढ़िए पूरा मामला
बिमला व उसके भाई की हत्या का इंसाफ मिल गया।

नारनौल, जागरण संवाददाता। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर जीवन की अदालत ने जैसे ही फैसला सुनाया तो पीड़ित पक्ष के अधिवक्ता ने तुरंत फरियादी दुड़ाराम व उसके भतीजे राकेश को फोन पर जानकारी दी। फैसला सुनकर फरियादियों का गला रुंध गया और आवाज भारी हो गई । बिमला व उसके भाई की हत्या का इंसाफ मिल गया। अभी भी श्रीराम व संदीप फौजी की हत्या का हिसाब शेष है।

विक्रम उर्फ पपला गैंगस्टर व उसके गिरोह ने पूरा परिवार ही उजाड़ दिया था। सन 2014 में खैरोली निवासी संदीप फौजी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उसकी मां बिमला गवाह बनी तो एक साल बाद ही उसे भी गोलियों से छलनी कर दिया गया। मामा महेश भानजे व अपनी बहन को इंसाफ दिलाने के लिए आगे की लड़ाई लड़ने लगा तो गैंगस्टर व उसे साथियों ने 2016 में गुलावला के पास उसे भी गोलियां मारकर हत्या कर डाली। गैंगस्टर का यह खौफ अभी भी शांत नहीं हुआ।

महेश व बिमला के पिता बिहारीपुर निवासी बुजुर्ग श्रीराम के बूढे़ कंधों पर इस लड़ाई का भार आ गया। गैंगस्टर के खतरे को देखते हुए पुलिस सुरक्षा भी मांगी गई। सुरक्षा मिली भी, लेकिन उसे भी गैंगस्टर ने उसके ही घर में गोलियों से छलनी कर दिया। पुलिस ने गैंगस्टर पपला को गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन 2017 में महेंद्रगढ़ अदालत में उसके साथियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर न केवल उसे छुड़ाया, बल्कि कई पुलिस वालों को भी गोलियां मारकर घायल कर दिया। इस गोलीकांड में एक सब इंस्पेक्टर की उपचार के दौरान मौत हो गई। इस मामले में भी पपला के खिलाफ अभी न्यायालय में मामला विचाराधीन है। वर्तमान में इन हत्याओं के मामले में बिमला के दूसरे बेटे राकेश व देवर दुड़ाराम कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

अधिवक्ता अजय कुमार के अनुसार दोनों ने गैंगस्टर पपला के डर से करीब छह साल पहले ही अपना गांव खैरोली छोड़कर किसी गुप्त स्थान पर छुपकर रह रहे हैं। उन्होंने अपने अधिवक्ता को भी अदालत की कार्रवाई में सुरक्षा की दृष्टि से सही संपर्क का पता नहीं लिखने की दलील दी थी। बिमला का देवर दुड़ाराम व बेटा राकेश अधिवक्ता अजय चौधरी से चोरी छुपे ही मिलने आते थे। मंगलवार को फैसला भी उन्होंने अधिवक्ता के जरिये ही सुना और संतोष जताया है। अधिवक्ता अजय चौधरी ने कहा कि अभी तो दो मामलों में इंसाफ मिला है और शेष दो मामलों की कानूनी लड़ाई अभी चल रही है। अदालत पर पूरा भरोसा और इंसाफ जरूर मिलेगा।

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