कनीना सामूहिक दुष्कर्म के तीन मुख्य आरोपित दोषी करार, पांच हुए बरी

12 सितंबर 2018 की है। पीड़िता अपने पिता के साथ स्कूल बस में सवार होकर कोचिंग के लिए जा रही थी। बस स्टैंड से बस से उतरकर अपने कोचिंग सेंटर की तरफ जा रही थी तो उन्हीं के गांव के पंकज पुत्र बालकिशन तथा मनीष पुत्र ओमप्रकाश रास्ते में मिले।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 03:58 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 03:58 PM (IST)
कनीना सामूहिक दुष्कर्म के तीन मुख्य आरोपित दोषी करार, पांच हुए बरी
पांच आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए किया बरी।

नारनौल [बलवान शर्मा]। कनीना क्षेत्र के सामूहिक दुष्कर्म मामले में आठ आरोपितों में से तीन को दोषी करार दे दिया है, जबकि पांच को संदेह लाभ देते हुए बरी कर दिया है। हालांकि पीड़ित परिवार आरोपितों के बरी करने से संतुष्ट नहीं है और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर करने की तैयारी कर रहा है।

तीन साल पहले की है घटना

घटना 12 सितंबर, 2018 की है। पीड़िता अपने पिता के साथ स्कूल बस में सवार होकर कोचिंग के लिए जा रही थी। बस स्टैंड से बस से उतरकर अपने कोचिंग सेंटर की तरफ जा रही थी तो उन्हीं के गांव के पंकज पुत्र बालकिशन तथा मनीष पुत्र ओमप्रकाश रास्ते में मिले। उन्होंने पीड़िता को पानी में नशीला पदार्थ पिलाकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसे एक गाड़ी में बिठाकर खेत के कुआं पर लेकर गये। जहां पर दोषियों पंकज, मनीष और निशू ने पीड़िता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया।

दुष्कर्म के बाद खराब हो गयी थी पीड़िता की हालत

इसके बाद पीड़िता की हालत खराब हो जाने पर इन लोगों ने गांव के ही एक चिकित्सक संजीव को घटनास्थल पर बुलाया। चिकित्सक ने पीड़िता का प्राथमिक उपचार देकर मौके से चला गया। आरोपित दीनदयाल पर आईपीसी की धारा 118 व 120 बी का चार्ज किया गया था।

न्यायालय में 33 गवाह हुए थे पेश

दिनदयान पर आरोप था कि जिस ट्यूबेल पर सामुहिक दुष्कर्म हुआ है, वह उसका है। इसके अलावा संजीव पर धारा 118 आईपीसी, नवीन पर 202 आईपीसी तथा अभिषेक व मनजीत को नवीन व पंकज को शरण देने यानी आईपीसी की धारा 216 के तहत चार्ज फ्रेम किया गया था । इस मामले में न्यायालय के समक्ष 33 गवाह पेश किए गए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद महिलाओं के विरुद्ध अपराध की स्पेशल कोर्ट की इंचार्ज एडिशनल सेशन जज मोना सिंह की अदालत ने तीन मुख्य आरोपितों मनीष, पंकज व नीशु को सामूहिक दुष्कर्म का दोषी करार दिया है तथा बाकी पांच अन्य आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।  इस मामले में 29 अक्टूबर को दोषियों को सजा सुनाई जाएगी। इस केस में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव एवं चेयरमैन ने एडवोकेट कर्ण सिंह यादव को नियुक्त किया था। उन्होंने पीड़ित पक्ष की तरफ से पैरवी की । करण सिंह यादव ने बताया कि यह केस उन्होंने निशुल्क लड़ा है।

फैसला नहीं समझौता है- हम हाईकोर्ट जाएंगे

पीड़िता की मां से बात की गई तो उन्होंने पांच आरोपितों को बरी करने के फैसले से असंतोष जताया है। उनका कहना है कि यह फैसला नहीं समझौता है, जो हमें मंजूर नहीं है। उनका कहना है कि 29 अक्टूबर को फैसले का इंतजार करेंगे। फैसला आने के बाद न्यायालय के निर्णय का रिकार्ड लेकर उच्च न्यायालय में अपील की जाएगी।

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