नागरिक अस्पताल में मनाया गया शहीदी गुरु पर्व

जिला विधिक सेवक एवं समाजसेवी विजय सिंह ने बुधवार को सिविल अस्पताल महेंद्रगढ़ में सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर का शहीदी गुरु पर्व मनाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Dec 2021 05:06 PM (IST) Updated:Wed, 08 Dec 2021 05:06 PM (IST)
नागरिक अस्पताल में मनाया गया शहीदी गुरु पर्व
नागरिक अस्पताल में मनाया गया शहीदी गुरु पर्व

संवाद सहयोगी, महेंद्रगढ़ :

जिला विधिक सेवक एवं समाजसेवी विजय सिंह ने बुधवार को सिविल अस्पताल महेंद्रगढ़ में सिख धर्म के नौवें गुरु तेग बहादुर का शहीदी गुरु पर्व मनाया गया। विजय सिंह ने बताया कि गुरु तेग बहादुर की शहादत एक शौर्य गाथा है जिसका उदाहरण मानवता के इतिहास में या धर्म की आजादी के समूचे इतिहास में मिलना कठिन है, जब किसी दूसरे धर्म के अनुयायियों पर बने संकट को रोकने के लिए जिस महान योद्धा ने बलिदान दिया उस शख्सियत का नाम गुरु तेग बहादुर सिंह है। विश्व में गुरु तेग बहादुर को हिद की चादर भी कहकर याद किया जाता है। इनका जन्म 21 अप्रैल 1621 इस्वी में हुआ। उस दिन वैशाख की पंचमी और विक्रमी संवत 1678 थी। इनकी माता का नाम नानकी देवी और पिता का नाम गुरु हरि गोविद साहिब है। वह पांच भाई थे, गुरु तेग बहादुर सबसे छोटे थे। इनका बचपन अमृतसर में बीता जहां भाई गुरदास की निगरानी में हर तरह की विधा और गुरु वाणी की शिक्षा प्राप्त की। 20 मार्च 1665 ईस्वी औपचारिक तौर पर गुरु गद्दी सौंपी गई और सिख धर्म के नौवें गुरु के रूप में गुरु तेग बहादुर ने सिख पंथ की बागडोर संभाली। उस समय मुगल राजा औरंगजेब का अत्याचार जनता पर दिनों दिन बढ़ता जा रहा था। जब आम लोग मुगल हुकूमत के भय से पीड़ित थे और हिदू प्रजा को जबरन मुसलमान बनाया जा रहा था। हिदुओं का एक जत्था आनंदपुर साहिब गुरु तेग बहादुर के पास पहुंचा। हिदुओं की दुख भरी दास्तान सुनकर गुरुजी ने अपना बलिदान देने की मन में धारणा बना ली उधर औरंगजेब ने गुरु जी को गिरफ्तार कर लिया तथा तरह-तरह के जुलम किए। गुरु तेग बहादुर ने धर्म और सत्य के मार्ग को नहीं छोड़ा और इस्लाम कबूल नहीं किया। चांदनी चौक दिल्ली में 11 नवंबर 1675 ईस्वी को मुस्लिम धर्म न अपनाने पर औरंगजेब ने गुरुजी को शीश काटकर शहीद कर दिया।

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