शरद पूर्णिमा पर बनाई जाएगी खीर, श्वास रोगियों के लिए रामबाण
बुधवार को क्षेत्र में शरद पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा।
संवाद सहयोगी, कनीना: बुधवार को क्षेत्र में शरद पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। इस मौके पर रात के समय खीर बनाने तथा प्रसाद के रूप में अगले दिन बांटने की प्रथा चली आ रही है। मंदिर में बनी खीर रातभर खुले आसमान के नीचे रखी जाती है। जिसमें चंद्रमा की सीधी किरणें खीर में लगने से रोग विनाशक बन जाती है। उधोदास आश्रम के महंत लालदास ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपने आप में पूर्ण होता है, बाकी किसी भी पूर्णिमा को इतना बेदाग नहीं होता है। उन्होंने बताया कि आश्रम में जो खीर बनाई जाती है उसे मखमल के कपड़े से ढककर रख दिया जाता है। ताकि अधिक मात्रा में चंद्रमा की किरणें खीर तक पहुंच सके। इस खीर का श्वास रोगियों के लिए बेहद लाभ होता है। उन्होंने बताया कि इस खीर में डालने के लिए कई प्रकार की औषधियां मंगवाई हैं ताकि खीर के प्रसाद से उनका रोग ठीक हो सके। रातभर भजन कीर्तन करते हुए ठाकुर जी का भोग लगाकर प्रसाद चखते हैं। वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन का कहना है कि शरद पूर्णिमा का पर्व बहुत अहमियत रखता है। यह पर्व कई रोगों से छुटकारा दिलाने वाला ही नहीं अपितु इंसान में नया संचार जगाने वाला होता है। सर्दी प्रारंभ होने से सेहत के लिए लाभकारी होती हैं। उन्होंने कहा कि इस दिन से जल्दी उठकर स्नान और ध्यान करने से सभी कष्ट अपने आप छूट जाते हैं तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। सुरेंद्र शर्मा ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इसी पर्व से जुड़ी है कार्तिक स्नान करने की परंपरा। महिलाएं पूरे एक माह तक सुबह जल्दी उठकर स्नान करती है।