वर्षों से लंबित है कनीना खास ट्रेन, ठहराव की मांग

कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन पर अनलाक के वक्त दो ट्रेन चलनी शुरू हुई थी जो यहां रुकती नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:11 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 06:11 PM (IST)
वर्षों से लंबित है कनीना खास ट्रेन, ठहराव की मांग
वर्षों से लंबित है कनीना खास ट्रेन, ठहराव की मांग

संवाद सहयोगी, कनीना: कनीना खास नामक रेलवे स्टेशन पर अनलाक के वक्त दो ट्रेन चलनी शुरू हुई हैं, कितु दोनों ही नहीं रुकती। कोरोना से पूर्व कनीना खास रेलवे स्टेशन पर कुछ ट्रेनों का अस्थाई ठहराव किया गया था, कितु वो ठहराव भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था। वर्षों से यहां ट्रेन न रुकने की समस्या चली आ रही है। वहीं दूसरी ओर छोटे रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुक जाती है और उपमंडल स्तरीय रेलवे स्टेशन पर कोई ठहराव न होने से परेशानी जस की तस रह जाती है।

व्यापार मंडल प्रकोष्ठ के उप प्रधान रविद्र बंसल, मुकेश पार्षद, प्रहलाद पार्षद, मुकेश नंबरदार आदि ने बताया कि दुर्भाग्य कनीना खास के साथ ही रहा है। जहां कनीना खास रेलवे स्टेशन 20 हजार आबादी के कस्बे से बना सैनिक बाहुल्य सब-डिवीजन होते हुए भी हाल ही में दो ट्रेन जोधपुर- दिल्ली तथा बीकानेर- दिल्ली पुन: चलाई गई हैं कितु इनका फायदा कनीना को नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि विगत इतिहास में हलका कनीना को तोड़ा जाना, जेबीटी को खत्म किया जाना कनीना खास रेलवे स्टेशन पर सभी ट्रेनों का ठहराव न करना कनीना के साथ भेदभाव को इंगित करते हैं। यहां तक कि कनीना की पालिका को भी वर्ष 2000 में तोड़ दिया था और कनीना ग्राम पंचायत बनाकर चुनाव करवा दिये थे। उनका कहना है कि कनीना में जहां नेताओं और मंत्रियों की फौज दी है। कनीना खास (1935) में रेलवे स्टेशन होते हुए भी कोई ट्रेन नहीं रुकती है। कहने को तो उपमंडल तो है, परंतु सुविधाओं का टोटा है। ट्रेन पकड़ने के लिए भी कनीना वासियों को कम से कम 20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

कनीना खंड के ऐसे गांव भी है जिनमें से 50 प्रतिशत परिवारों के लोग आर्मी व अर्ध-सैनिक बलों में तैनात है। कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से इन सैनिकों को अपनी ड्यूटी पर जाने के लिए रेवाड़ी व महेंद्रगढ़ से ट्रेनों को पकड़ना पड़ता है, जिसके चलते इन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 1935 में स्थापित कनीना खास रेलवे स्टेशन पर ब्रॉड गेज बनाने से पूर्व यहां से गुजरने वाली प्रत्येक ट्रेन का ठहराव था। कितु वर्ष 2008 में ब्रॉडगेज बनने के बाद फास्ट एवं सुपरफास्ट ट्रेनों के ठहराव स्टेशन पर बंद कर दिया गया। कनीना से करीब 35 किलोमीटर दूर रेवाड़ी रेलवे स्टेशन तो कनीना से 20 किलोमीटर दूर महेंद्रगढ़ रेलवे स्टेशन पड़ता है। एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ने के लिए लोगों को यहां से महेंद्रगढ़ या रेवाड़ी स्टेशनों में से किसी एक पर जाने को मजबूर होना पड़ता है।

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एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होने से व्यापारियों को भी हो रहा है भारी नुकसान

कनीना रेलवे स्टेशन पर एक्सप्रेस ट्रेनों का ठहराव न होने की वजह से व्यापारियों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। बता दें कि 20 हजार के करीब आबादी वाली अकेली कनीना मंडी में 100 दुकानें तथा दर्जनभर सरकारी कार्यालय, व्यापारिक प्रतिष्ठान, बैंक एवं मार्केट कमेटी, कनीना का सामान्य बस स्टैंड, नगरपालिका कनीना, बस स्टैंड पर 700 करीब पालिका की दुकानें, पंचायत समिति की दुकानें तथा निजी दुकानें हैं। जिनके व्यापारियों को अपने काम से दिल्ली जाने के लिए रेवाड़ी से गाडि़यों को पकड़ना पड़ता है जिससे उनका समय तो खराब होता ही है साथ ही आर्थिक हानि भी उठानी पड़ती है।

क्या कहते हैं क्षेत्रवासी-

लक्की सीगड़ा समाज सेवी का कहना है कि सैनिक बाहुल्य इस क्षेत्र में एक्सप्रेस गाड़ियों का ठहराव नहीं होना क्षेत्रवासियों के लिए अपमान है। कनीना खास स्टेशन के साथ लगभग बीस हजार की आबादी का क्षेत्र जुड़ा हुआ है। कृषि प्रधान लोगों के साथ-साथ सैनिकों और व्यापारियों का आवागमन हमेशा होता रहता हैं।

हरीश कुमार सुंदरह का कहना है कि उनके गांव में बहुत अधिक सैनिक हैं। सुपर फास्ट ट्रेन ना रुकने की वजह से सैनिकों को रेवाड़ी से ही ट्रेन बदलकर या बस के माध्यम से गांव तक आना पड़ता है जिसमें उनको बहुत अधिक परेशानी होती है। कनीना के आसपास क्षेत्र के विद्यार्थी दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं। अगर सुपरफास्ट ट्रेन रुकने लग जाए तो उन सभी विद्यार्थियों को भी फायदा हो जाएगा।

अनुज यादव गाहड़ा का कहना है कि

आसपास के क्षेत्र के व्यापारी दुकानदार दिल्ली से सामान लेकर आते हैं उनकी मुख्य समस्या यह है कि दिल्ली से रेवाड़ी तक तो सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेनों में सामान लेकर आ जाते हैं लेकिन रेवाड़ी आकर उनको बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है अगर सुपर फास्ट ट्रेनों का ठहराव कनीना में हो जाता है तो इनको बहुत अधिक फायदा होगा।

प्रियंका वर्मा धनोंदा का कहना है कि

कनीना क्षेत्र सैनिक बाहुल्य क्षेत्र है। सैनिक जब छुट्टी पर आता है तो उसकी इच्छा होती है कि अपने गांव के पास वाले स्टेशन पर ही उतर कर अपने घर जाऊं, लेकिन सुपरफास्ट ट्रेनों का कनीना में ठहराव नहीं है। जबकि कनीना उपमंडल तकरीबन 20 हजार आबादी वाला क्षेत्र है।

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