जतिन ने जान पर खेलकर बचाई दादी की जान
अपनी जान पर खेल करके 20 वर्षीय जतिन ने अपनी दादी की जान बचा ली। इस दौरान दो बार सांड ने उस पर हमला किया।
हरबिलास बालवान, महेंद्रगढ़:
अपनी जान पर खेल करके 20 वर्षीय जतिन ने अपनी दादी की जान बचा ली। इस दौरान दो बार सांड ने उस पर हमला किया। लेकिन वह घबराया नहीं और दोनों बार उठकर संभल गया। अपनी जान की परवाह न करते हुए उसने 70 वर्षीया दादी को बचाने में कामयाबी हासिल कर ली।
वायरल वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि गली के नुक्कड़ पर सांड पहले से ही घात लगाए खड़ा था और जैसे ही जतिन की दादी उसके नजदीक आई तो सांड ने उस पर हमला कर दिया। इसी दौरान गली में जतिन दौड़कर आता दिखाई देता है। जैसे ही वह नजदीक पहुंचता है तो सांड उस पर भी टूट पड़ता है। सांड जतिन को दीवार के बीच में फंसाकर रौंदने का प्रयास करता है। लेकिन जैसे-तैसे जतिन सांड की टक्कर से बचकर उसके पैरों की तरफ आ जाता है। इस दौरान भी सांड उसे पैर मारता दिखाई देता है। लेकिन जतिन तुरंत खड़ा हो जाता है और अपनी दादी को उठाने लगता है। जैसे ही दोनों दादी-पोता खड़े होते हैं सांड पुन: हमला कर देता है और दोनों को टक्कर मारकर गिरा देता है। इसके बावजूद जतिन ने अपनी दादी का साथ नहीं छोड़ा। जतिन के साहस व दादी के प्रति लगाव की शहर में चारों ओर प्रशंसा हो रही है। इस आधुनिक युग में युवकों का अपने माता-पिता के प्रति ही लगाव कम होता जा रहा है। लोग अपने तक ही सीमित रहते हैं। दादी के प्रति इतना अधिक लगाव दर्शाता है कि वह सनातन संस्कृति एवं संस्कारों से ओत-प्रोत है। आज दादी पोते के प्रयासों से ही जिदा है। दादी का पोते के बचपन में किए गए लाड़ व दुलार एवं संस्कार को भी दर्शाता है। ग्रामीण क्षेत्र में दादी-पोते की प्रति प्यार व दुलार की पुरानी कहावत है कि मूल से प्यारा ब्याज होता है यह स्वाभाविक भी है कि इस उम्र में किसी भी माता-पिता का अपनी पुत्र-पुत्रियों की बजाय पोते, पोतियों एवं नातियों के प्रति लगाव अधिक हो जाता है। इस लगाव को जतिन ने साकार भी कर दिया।