चुनौतियों के मद्देनजर बढ़ती नौसेना की ताकत: डा. एलएस यादव
वर्तमान समय में चीन ने केवल थलीय सीमा पर ही रक्षा चुनौतियां नहीं उत्पन्न कर रखी हैं बल्कि वह भारत की सामुद्रिक घेराबंदी करने में भी लगा हुआ है।
जागरण संवाददाता, नारनौल: वर्तमान समय में चीन ने केवल थलीय सीमा पर ही रक्षा चुनौतियां नहीं उत्पन्न कर रखी हैं, बल्कि वह भारत की सामुद्रिक घेराबंदी करने में भी लगा हुआ है। चीन की रक्षा तैयारियों को देखते हुए भारतीय नौसेना को अत्यंत आक्रामक बनाया जा रहा है। ये बातें सैन्य मामलों के जानकार एवं रक्षा अध्ययन विषय के सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर डा. एलएस यादव ने नौसेना दिवस की पूर्व संध्या पर एक विशेष मुलाकात में कही। हिद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी का मुकाबला करने के लिए भारतीय नौसेना ने अपनी निगरानी क्षमता को बढ़ाने की योजना तैयार कर ली है, जिसके तहत नौसेना आने वाले दिनों में मानवरहित एरियल ड्रोन और अंडरवाटर सर्विलांस प्लेटफार्म्स की संख्या में बढ़ोतरी करेगी। नौसेना की मारक क्षमता में बढ़ोतरी करने के लिए विध्वंसक युद्धपोत विशाखापट्टनम प्राप्त हो गया है। यह पोत शत्रु की पनडुब्बियों, युद्धपोतों, एंटी सबमरीन मिसाइलों और युद्धक विमानों का मुकाबला करने में क्षमता रखता है। इस विध्वंसक युद्धपोत के सुपरसोनिक ब्रहमोस एवं बराक मिसाइलों से लैस होने के कारण भारतीय नौसेना की सामरिक व रणनीतिक क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी हो गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर भारतीय नौसेना को अत्यंत घातक श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस बेला 25 नवंबर को प्राप्त हो गई है। इससे पहले इसी तरह की पनडुब्बियां आईएनएस कलवारी, आईएनएस खंडेरी व आईएनएस करंज नौसेना को मिल चुकी हैं। आइएनएस बेला समुद्र के नीचे 37 किलोमीटर यानि कि 20 नाटिकल मील समुद्री दूरी तक चल सकती है। यह एक चक्कर में 1020 किलोमीटर अर्थात 550 नाटिकल मील की यात्रा करती है। शत्रु के जहाजों पर हमला करने के लिए इस पर 18 तारपीडो व अनेक प्रकार की मिसाइलें तैनात की गई हैं।
पनडुब्बी रोधी प्रणाली से लैस आईएनएस युद्धपोत कवरत्ती को पिछले वर्ष नौसेना में शामिल किया गया था। आईएनएस कवरत्ती को दुश्मन देशों में पनडुब्बियों का काल माना जाता है। यह युद्धपोत शत्रु देशों के राडार की पकड़ में नहीं आता है। भारतीय नौसेना के पास इस समय जंगी जहाज आईएनएस कोरा, आईएनएस किर्च, आईएनएस कुलिस एवं आईएनएस करमुक भी हैं, जो इसी तरह के हमले करने की ताकत रखते हैं। अभी कुछ दिन पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का सफल परीक्षण किया गया था। अगले वर्ष इसे भी नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा। भारतीय नौसेना द्वारा दिए गए 41 जलपोतों के निर्माण के आर्डर में से 38 पोत भारत में ही बन रहें हैं। भारतीय नौसेना इस समय विश्व की पांचवीं ताकतवर नौसेना है और देश की रक्षा के लिए दिन-रात मुस्तैद रहती है।