दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता

यदि दिल में कर गुजरने की क्षमता हो और इछाशक्ति हो तो आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 01:24 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 01:24 PM (IST)
दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता
दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता

संवाद सहयोगी, कनीना: यदि दिल में कर गुजरने की क्षमता हो और इच्छाशक्ति हो तो आगे जाने से कोई नहीं रोक सकता। यह कहावत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय बूचावास में कार्यरत जेबीटी शिक्षिका प्रमिला पर लागू होती है। जिन्होंने 5 सितंबर 2019 को हरियाणा राज्य शिक्षक अवार्ड से नवाजा गया है। 9 फरवरी 1979 को दिल्ली में जन्मी तथा कनीना खंड के गांव गुढ़ा में कुलदीप कुमार से विवाहित प्रमिला ने अपनी प्राथमिक शिक्षा दिल्ली से प्राप्त की तथा वहीं से बीएससी की डिग्री हासिल की। तत्पश्चात शादी होने के बाद जेबीटी की परीक्षा डाइट महेंद्रगढ़ से पास करके, वर्ष 2000 में बतौर जेबीटी राजकीय प्राथमिक पाठशाला गुढ़ा में शिक्षण कार्य शुरू किया। उन्हें ससुराल में भी सहयोगी प्रवृत्ति का परिवार मिला। उन्होंने जेबीटी में प्रवेश पा लिया कितु उनकी सास एवं दादा ससुर(ससुर के पिता) बीमार होने के कारण वे 2 माह तक जेबीटी कालेज नहीं जा सकी, जिसके कारण नाम कटने की नौबत आ गई थी। क्योंकि एक तरफ अपने दादा ससुर व सास की भी सेवा करनी पड़ती थी। एक दिन जब डाइट प्राचार्य ने उन्हें बुलाकर सख्त हिदायत दी कि तुम्हारा नाम काट दिया जाएगा तो आंखों में आंसू भरकर प्रमिला ने एक ही जवाब दिया कि पढ़ाई तो दोबारा पा सकती हूं, कितु सास और दादा ससुर को फिर से नहीं पा सकूंगी सर। उनके इस सेवाभाव को सुनकर डाइट प्राचार्य के भी आंखों में आंसू आ गए तथा उनका पूरा सहयोग करने का आश्वासन दिया। उनके दादा ससुर एवं सास स्वर्ग सिधार गए। उनका परिवार अधिक बड़ा न होने के कारण जिम्मेदारियां अधिक नहीं थी, लेकिन वे पढ़ाई से पीछे नहीं हटी। तत्पश्चात उन्होंने स्नातकोत्तर की परीक्षा भी पास की।

वर्ष 2018 में जब स्टेट अवार्ड दिए गए तो अखबार में प्रकाशित शिक्षकों को सम्मान पाते हुए उसकी भी प्रबल इच्छा हुई कि वह भी सम्मान पाएगी। बस यही ²ढ़ इच्छा उन्हें स्टेट अवार्ड की ओर ले गई और वर्ष 2019 में उन्होंने प्रथम प्रयास स्टेट अवार्ड के लिए आवेदन किया और वे पूर्ण रूप से सफल हो गईं। राज्यपाल एवं शिक्षा मंत्री के हाथों से उन्हें स्टेट अवार्ड (शिक्षक राज्य) पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो बहुत कम शिक्षकों को ही मिल पाता है। वे बताती है कि जब वे बूचावास बतौर शिक्षिका कार्यरत थी तो संगीता प्राचार्या डाइट उनकी कक्षा में आ पहुंची। उस दिन वे अवकाश पर थी कितु कक्षा को देखकर संगीता प्राचार्या बहुत प्रसन्न हुई और उन्होंने बार-बार उनकी कक्षा की प्रशंसा की। अपने समय की अच्छी कबड्डी खिलाड़ी थी और उन्हें वर्ष 1995

में तत्कालीन शिक्षा मंत्री दिल्ली ने सम्मानित भी किया था।

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