न्याय की आश को हकीकत में बदला आस्था ने

22 साल तक लगातार न्याय के लिए लड़ रही आस्था ने आखिरकार अपने दिवंगत पिता व बीमार मां पर लगे दहेज हत्या के आरोपों से मुक्त करवा ही दिया। परिवार पर संकट आया तो उस समय नारनौल निवासी आस्था महज 16 साल की थीं और दसवीं कक्षा में पढ़ रही थीं। परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने और खुद का करियर बनाया और कामयाब किया। वर्तमान में आस्था अमेरिका की कंपनी में कार्य कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 10:44 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 10:44 PM (IST)
न्याय की आश को हकीकत में बदला आस्था ने
न्याय की आश को हकीकत में बदला आस्था ने

जागरण संवाददाता, नारनौल: 22 साल तक लगातार न्याय के लिए लड़ रही आस्था ने आखिरकार अपने दिवंगत पिता व बीमार मां पर लगे दहेज हत्या के आरोपों से मुक्त करवा ही दिया। परिवार पर संकट आया तो उस समय नारनौल निवासी आस्था महज 16 साल की थीं और दसवीं कक्षा में पढ़ रही थीं। परिवार को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करने और खुद का करियर बनाया और कामयाब किया। वर्तमान में आस्था अमेरिका की कंपनी में कार्य कर रही हैं।

वैसे तो आस्था अपने संघर्ष को लेकर 25 नवंबर को दोपहर 12 बजे वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये पत्रकारों से रूबरू होंगी और बताएंगी कि कैसे-कैसे लड़ाई लड़ी। बता दें कि आस्था की भाभी ने 22 साल पहले आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने उनके परिवार के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज किया था। माता कालेज में बतौर प्रो. पढ़ाती थीं। इस मामले में सेशन न्यायालय ने उसकी मां-पिता व भाई को 10-10 साल की कैद की सजा भी सुना दी थी, लेकिन आस्था ने हिम्मत नहीं हारी और आशा नहीं छोड़ी। उन्होंने इस मामले में उच्च न्यायालय की शरण ली और अपील की। इस अपील में न्यायालय ने 16 नवंबर को आखिरकार आस्था की मां विजय यादव व पिता जोगेंद्र सिंह को बरी कर दिया है, लेकिन विडंबना यह रही कि जोगेंद्र सिंह बरी होने से पहले ही दुनिया से जा चुके हैं। आस्था की मां गंभीर रोग से पीड़ित हैं। आस्था की ओर से जारी निमंत्रण पत्र में उन्होंने लिखा है कि वह अपनी प्यारी भाभी को तो वापस नहीं ला सकतीं, कितु अन्य किसी बहु-बेटी को डिप्रेशन से बचाने में अपने तजुर्बे का योगदान दे सकती हैं। भाभी की मौत के पीछे भी न्यायालय ने डिप्रेशन ही कारण माना है। उनके पिता की याद में बने जुगनू क्लब के माध्यम से भारतीय परिवेश में महिलाओं की परेशानियों के अंधकार में जुगनू सा प्रभाव डालना चाहती हैं।

स्टिंग आपरेशन कर किया सच्चाई का खुलासा

आस्था ने शिकायतकर्ता पक्ष के गवाहों का छुपे हुए कैमरों से स्टिग आपरेशन किया था। तमाम सबूतों को उच्च न्यायालय में रखा। इसके बाद ही न्यायालय ने आरोपित पक्ष को बरी कर उनका सम्मान बहाल किया है।

chat bot
आपका साथी