शहीद का 51 साल बाद भी स्मारक सूची में नहीं नाम

भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए गुजरवास निवासी बहादुर सिंह का नाम आज भी शहीद स्मारक पर लगी शहीदों की सूची में दर्ज नहीं हो सकी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 07:44 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 06:17 AM (IST)
शहीद का 51 साल बाद भी स्मारक सूची में नहीं नाम
शहीद का 51 साल बाद भी स्मारक सूची में नहीं नाम

संवाद सहयोगी, मंडी अटेली :

भारत-पाक युद्ध में दुश्मनों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए गुजरवास निवासी बहादुर सिंह का नाम अभी शहीद स्मारक पर लगी शहीदों की सूची पर नहीं है। समाजसेवी नरपत सिंह के प्रयास से उनका नाम शहीदों की सूची में तो शामिल किया गया था लेकिन स्मारक पर नाम दर्ज नहीं हो पाया है। शहीद बहादुर सिंह 1971 भारत-पाक युद्ध में महज 26 साल की आयु में दुश्मन से लड़ते हुए बलिदान हो गए थे। नरपत सिंह चौहान के नेतृत्व में आस-पास के गांवों के लोगों ने तहसीलदार ईश्वर सिंह को 9 अगस्त 2017 को वीरगति को प्राप्त हुए बहादुर सिंह का नाम शहीदों की सूची में शामिल करने की मांग जोरशोर से उठाई थी। तत्कालीन जिला सैनिक बोर्ड की सचिव सविता यादव ने बहादुर सिंह का नाम शहीदों की सूची में शामिल करने का पत्र उपायुक्त, डीडीपीओ, बीडीपीओ अटेली व तहसीलदार को भेज गया था। शहीद के भतीजे राजेंद्र सिंह को जब इसकी जानकारी मिली तो खुशी के मारे आंसू छलक पड़े लेकिन तीन साल बाद भी शहीद स्मारक पर नाम अंकित नहीं हो पा रहा है। ग्रामीण लख्मीचंद, बीर सिंह, रतन सिंह, सुनील सिंह, सुखविद्र, तरुण व शहीद के परिजनों ने बताया कि 46 साल गुमनाम रहे बहादुर सिंह का शहीदों की सूची में नाम आने से आने वाली पीढ़ी को प्रेरणा मिल सकेगी। वीरगति को प्राप्त हुए बहादुर सिंह को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। हालांकि बहादुर सिंह के साथ हुए गांव के शहीद जयपाल सिंह का नाम तो स्मारक की सूची में शामिल हैं लेकिन बहादुर सिंह का नाम आज तक नहीं लिखा गया है। प्रशासन की इस उदासीनता के प्रति नरपत सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल को ज्ञापन भेजा है। उन्होंने गांव के विद्यालय का नाम भी शहीद के नाम पर करने की मांग प्रशासन से की है।

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