कंडम भवन में हो रहा मरीजों का उपचार
सतनाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कागजों में तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिल चुका है मगर यह कंडम भवन में चल रहा है।
संवाद सहयोगी, सतनाली:
सतनाली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को कागजों में तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिल चुका है परंतु सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अनुरूप न तो यहां भवन बन पाया है न ही किसी प्रकार की जांच की सुविधा उपलब्ध है। यहां तक कि कंडम घोषित भवन में लोगों का उपचार हो रहा है। बारिश और तेज हवा के दौरान हादसों का अंदेशा लगा रहता है। लोगों का कहना है कि नए भवन निर्माण के लिए पैमाइश कार्य भी अनेक बार किया जा चुका है परंतु सरकार व विभाग की ओर से नए भवन के लिए बजट की मंजूरी नहीं मिली है। ऐसे में यहां आने वाले मरीजों को भय के साए में अपना उपचार व दवा लेने आना पड़ता है। मरीजों को ही नहीं स्टाफ को भी हादसों का अंदेशा लगा रहता है। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व सतनाली खंड को गोद लेने के बाद दौरे पर आए
अपर मुख्य सचिव (एसीएस) अनुराग रस्तोगी के निर्देश के बाद सतनाली सीएचसी के नए भवन निर्माण के लिए पैमाइश व डिजिटल ले आऊट प्लान तैयार करवाकर मुख्यालय भेजा गया था। इस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सतनाली सीएचसी भवन दशकों पूर्व बनाया गया था और वर्तमान में ये भवन जर्जर हो चुका है। बरसात के मौसम में सीलन के चलते यहां से छत्त का मलबा गिरता रहता है तथा पिछले दिनों एक क्वार्टर की छत्त भी गिर गई थी। कांग्रेस सरकार के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पीएचसी को सीएचसी में अपग्रेड करने की घोषणा की तथा इसका प्रतीकात्मक शिलान्यास भी किया गया। स्वास्थ्य विभाग ने कागजों में तो पीएचसी का नाम बदलकर सीएचसी कर दिया परंतु सीएचसी स्तर की सुविधाएं यहां नहीं मिल पाई। सीएचसी स्तर में उपलब्ध होने वाली एक्सरे व अन्य जांच की सुविधा नहीं है। क्षेत्र के लोग यहां चिकित्सक, स्टाफ सदस्यों व सुविधाओं के साथ नए भवन के निर्माण की मांग लगातार उठाते आ रहे हैं। नए भवन निर्माण के लिए भूमि की पैमाईश करवाने के साथ कई बार लोक निर्माण विभाग द्वारा सीएचसी की भूमि का माप व डिजिटल ले आऊट प्लान तैयार करवाया जा चुका है। पिछले दिनों उपायुक्त आरके सिंह के सतनाली दौरे के दौरान भी सामाजिक संस्थाओं द्वारा इस मामले को उठाया जा चुका है।
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सीएचसी के भवन को कंडम किया जा चुका है तथा नए भवन निर्माण बारे उच्च अधिकारियों को पैमाईश रिपोर्ट, डिजिटल ले आऊट प्लान तैयार कर भिजवाया जा चुका है। सरकार से बजट की स्वीकृति मिलने के बाद ही आगामी प्रक्रिया आरंभ हो सकेगी।
- आलोक कुमार, कनिष्ठ अभियंता, लोक निर्माण विभाग।