किसान घुट घुट कर मरने को मजबूर : तेजपाल यादव

डीएपी खाद की भारी किल्लत व बाजरे की एमएसपी पर खरीद ना होने के चलते राष्ट्रीय किसान नेता योगेंद्र यादव के किसान संगठन जय किसान आंदोलन के बैनर तले जय किसान आंदोलन के नेता इंजीनियर तेजपाल और प्रदेश प्रवक्ता संदीप यादव अटेली ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 05:24 PM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 05:24 PM (IST)
किसान घुट घुट कर मरने को मजबूर : तेजपाल यादव
किसान घुट घुट कर मरने को मजबूर : तेजपाल यादव

जागरण संवाददाता, नारनौल: डीएपी खाद की भारी किल्लत व बाजरे की एमएसपी पर खरीद ना होने के चलते राष्ट्रीय किसान नेता योगेंद्र यादव के किसान संगठन जय किसान आंदोलन के बैनर तले जय किसान आंदोलन के नेता इंजीनियर तेजपाल और प्रदेश प्रवक्ता संदीप यादव अटेली ने प्रेस वार्ता को संबोधित किया। सामाजिक कार्यकर्ता, पर्यावरणविद इंजीनियर तेजपाल ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को दोनों हाथों से लूटने, ठगने और घुट-घुट कर मरने पर विवश कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अगर किसानों को डीएपी नहीं उपलब्ध करवाया तो स्थानीय नेताओं को काले झंडे दिखाकर विरोध किया जाएगा। किसान को डीएपी नहीं मिलने पर सरसों की बिजाई में देरी होती जा रही है। किसान सर्दी, गर्मी और प्राकृतिक आपदा जैसी तमाम चुनौतियों से जूझते हुए पूरे देश का पेट भरने के लिए अन्न पैदा करता है। बहन बेटियों को खाद के लिए रात को घर से निकलकर लाइनों में लगना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भाजपा नेता कहते थे कि एमएसपी थी है और रहेगी, लेकिन अब स्थानीय नेता एमएसपी पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। किसान से न तो बाजरे की एमएसपी पर खरीद हुई और न ही डीएपी मिल रहा है। बुजुर्गों को खाद के लिए लंबी लंबी लाइनों में लगकर डीएपी के लिए घंटों तक लाइन में लगना पड़ रहा है। जय किसान आंदोलन के प्रदेश प्रवक्ता संदीप यादव ने बताया कि खट्टर सरकार ने बाजरे के रकबे को घटाने के लिए मूंग पर चार हजार रुपये प्रोत्साहन के तौर पर किसानों को देने की घोषणा की थी। लेकिन मूंग के साथ साथ सरकार ने अब तक बाजरे पर छह सौ रुपये भावांतर मूल्य भी नहीं देना शुरू किया है। किसान बाजरे को सस्ते मूल्य पर बेचने पर मजबूर हैं। इंजीनियर तेजपाल यादव ने कहा कि सरकार की मंशा किसान को खाद उपलब्ध करवाने की नहीं है। जिस तरह गैस की सब्सिडी को खत्म कर दिया गया। उसी तरह सरकार खाद की सब्सिडी को खत्म करना चाह रही है। सरकार बड़े बड़े पूंजीपतियों का करोड़ों रुपये का लोन माफ करवा सकती है, लेकिन किसान और मध्यम वर्ग को सब्सिडी देने से मना कर रही है।

chat bot
आपका साथी