खुद स्वावलंबन की उड़ान भरने वाली बबीता महिलाओं को बना रही हुनरमंद

गरीबी से लड़ते हुए स्वावलंबन की उड़ान भरने वाली गांव ऊष्मापुर निवासी बबीता आज दूसरी महिलाओं व युवतियों को हुनरबंद बनाने में जुटी हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 02:57 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 02:02 AM (IST)
खुद स्वावलंबन की उड़ान भरने वाली बबीता महिलाओं को बना रही हुनरमंद
खुद स्वावलंबन की उड़ान भरने वाली बबीता महिलाओं को बना रही हुनरमंद

जागरण संवाददाता, नारनौल :

गरीबी से लड़ते हुए स्वावलंबन की उड़ान भरने वाली गांव ऊष्मापुर निवासी बबीता आज दूसरी महिलाओं व युवतियों को हुनरबंद बनाने में जुटी हैं। एक समय था जब पिता की मौत के बाद पढ़ाई भी अधिक नहीं कर पाई और घर की आर्थिक स्थिति भी कमजोर होने के चलते दिक्कतें झेलनी पड़ी। केवल दसवीं तक पढ़ाई के बाद शादी हुई तो ससुराल में भी आर्थिक स्थिति अधिक मजबूत नहीं मिली। हालांकि मायके मे रहते हुए उन्होंने सिलाई का काम सीख लिया। गरीबी से लड़ते-लड़ते आज वह न केवल खुद आत्मनिर्भर बनी, बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी मिसाल बनी हुई है। साथ ही दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनाने के लिए नि:शुल्क सिलाई का काम भी सिखा रहीं हैं, ताकि महिलाएं स्वावलंबी बनें और गरीबी से उबरें।

बबीता ने बताया कि उनके पति संदीप फर्नीचर की दुकान पर काम करते हैं। इसलिए बड़ी मुश्किल से घर चलता था। गरीबी के कारण कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा। हर समय गरीबी से लड़ाई लड़नी पड़ती थी। यहां तक की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अपनी इच्छाएं भी पूरी नहीं कर पाए। इसके बाद वे हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया संस्था के प्रतिनिधियों के संपर्क में आई। उन्होंने खुद का काम शुरू करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद अपना काम शुरू करने के लिए महेंद्रगढ़ व नारनौल में ट्रेनिग ली। साथ ही लोन लेकर करीब 6 साल पहले कपड़े व कास्मेटिक्स की दुकान शुरू की। पूरी मेहनत व लगन से काम करने के चलते उनको सफलता मिली। जिसकी बदौलत आज उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार ही नहीं हुआ बल्कि अपनी सभी इच्छाओं को भी पूरा कर पाती हैं। साथ ही उनके पति ने जब खुद की फर्नीचर की दुकान शुरू की तो भी उन्होंने मदद की थी।

इधर, बबीता ने साथ-साथ महिलाओं को जागरूक करने का काम भी जारी रखा। वे गांव में महिलाओं को जागरूक करती रहती हैं। ताकि वे अपना कार्य शुरू करें। गांव में ही तीन महिलाओं को प्रेरित करके खुद के काम शुरू करवा चुके हैं। वहीं अन्य महिलाओं को प्रेरित करके तैयारी चल रही है। जहां कहीं भी जाती हैं, वहां की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जागरूकता अभियान की शुरुआत कर देती हैं। वे ना केवल महिलाओं को जागरूक करती हैं, बल्कि काम शुरू करने में मदद भी करती हैं।

बबीता ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि गांव से जो भी लड़की विवाह के बाद ससुराल जाएं वह हुनरबंद होनी चाहिए। इसके लिए लड़कियों को निशुल्क सिलाई की ट्रेनिग भी दे रही हैं। अभी तक करीब 20 लड़कियों को निश्शुल्क ट्रेनिग दे चुकी हैं। ताकि गरीबी के कारण जिन समस्याओं का उन्होंने सामना किया, उनका अन्य लड़कियों को सामना ना करना पड़े। वहीं करीब 8 महिलाओं को भी निश्शुल्क ट्रेनिग दे चुकी हैं।

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