महेंद्रगढ़ जिला को एनसीआर से बाहर किए जाने के बाद मिल सकती है कुछ पाबंदियों से निजात
जिला महेंद्रगढ़ चरखी दादरी व भिवानी को एनसीआर कार्य योजना से 2041 तक बाहर किए जाने के बाद इन जिलों को कुछ पाबंदियों से मुक्ति भी मिल सकती है।
बिरंचि सिंह, नारनौल : जिला महेंद्रगढ़, चरखी दादरी व भिवानी को एनसीआर कार्य योजना से 2041 तक बाहर किए जाने के बाद इन जिलों को कुछ पाबंदियों से मुक्ति भी मिल सकती है। उसमें से एक प्रदूषण का भी मामला है। प्रदूषण की वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल हरियाणा के जिन जिलों के भट्ठों पर ईंट पकाने के लिए कोयले के उपयोग की मनाही थी उन जिलों के ईंट भट्ठा संचालकों को रियायत मिल सकती है। जिन जिलों को प्रदेश सरकार ने भट्ठों के लिए कोयला उपयोग करने पर पाबंदी लगा दी थी और यहां पर पाइप्ड नेचुरल गैस अर्थात पीएनजी का उपयोग करने के लिए कहा गया था। जानकारों का कहना है कि जब तक ये जिले एनसीआर का हिस्सा नहीं रहते तब तक इस तरह का प्रतिबंध नहीं रह जाएगा। महेंद्रगढ़, नारनौल, कनीना, नांगल चौधरी और अटेली में चल रहे भट्ठों में कोयले से ईंटे पकाई जा सकती है। ऐसे तो कोयले का रेट दोगुना हो गया है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें सौ रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार कर चुकी है। पांच साल पहले डीजल और पेट्रोल की कीमत आज की तुलना में आधी थी। उन दिनों प्रथम श्रेणी की ईंटों के सरकारी रेट निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत प्रथम श्रेणी ईंटों के रेट 4 हजार 200 रुपये प्रति हजार निर्धारित किए गए थे। लोडिग और स्टेकिग चार्ज शामिल होंगे। इस दौरान तय यह भी हुआ था कि समय समय पर जिले के अधिकारी भी इन ईंटों की गुणवत्ता की जांच करते रहेंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में नारनौल सिघाना बार्डर पर स्थित बालाजी ब्रिक़्स के संचालक विनोद कुमार बताते हैं कि गुणवत्ता की जांच पड़ताल अच्छी बात है इसका ध्यान भट्ठा संचालक भी रखते हैं। लेकिन अब जबकि सरकारी तौर पर अभी भी ईंट की कीमतें नहीं बढ़ाई गई। ऐसे में जिले के ईंट भट्ठे के संचालकों के लिए इस दर पर ईंट भट्ठा उपलब्ध कराना आसान नहीं होगा। महंगाई की वजह से श्रमिक भी महगे हो गए हैं। इनका यह भी कहना है कि महेंद्रगढ़ जिला को अगले 20 साल के लिए एनसीआर से जिले को बाहर कर दिया गया। इसलिए जिले के ईंट भट्टा चालकों को फरवरी के अंत तक शुरू करने की बाध्यता नहीं रहनी चाहिए। राजस्थान की तरह नारनौल के भट्ठा संचालकों को अक्टूबर नवंबर से भट्ठा चलाने की अनुमति मिलनी चाहिए। भट्ठा संचालक प्रदेश सरकार के इसी दिशा निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।