ढोसी के पहाड़ पर मिले 141 प्रकार की प्रजातियों के पौधे
नारनौल के ऐतिहासिक ढोसी के पहाड़ पर महर्षि यवन द्वारा तैयार किए गए यवनप्राश में इस्तेमाल की गई औषधियों की खोज शुरू हो गई है।
बलवान शर्मा, नारनौल: नारनौल के ऐतिहासिक ढोसी के पहाड़ पर महर्षि च्यवन द्वारा तैयार किए गए च्यवनप्राश में इस्तेमाल की गई औषधियों की खोज शुरू हो गई है। वैज्ञानिकों के एक दल ने इस पहाड़ी पर यह कार्य शुरू किया हुआ है। वैज्ञानिकों के दल को इस पहाड़ी पर जहां पौधों की 141 प्रजातियां मिली हैं, वहीं जीव-जंतुओं की 20 प्रकार की प्रजातियां ढोसी के पहाड़ पर मिली हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल के दौरे से एक दिन पहले हुई इस खोज से ढोसी के पहाड़ के विकास की संभावनाओं को पंख लग सकते हैं।
हरियाणा स्टेट आफ बायोडायवर्सिटी बोर्ड के साथ मिलकर एनएच कंसल्टिग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने वैज्ञानिकों की टीम को साथ लेकर ढोसी के पहाड़ के औषधीय पौधे का सर्वे शुरू किया है। इस सर्वे में औषधीय पौधों की पहचान की जा रही है। वैज्ञानिकों के दल को 140 प्रकार के पौधों की प्रजातियां मिली हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि इनमें से पांच-छह औषधीय पौधे वो हैं, जिनका इस्तेमाल किसी जमाने में महर्षि च्यवन ने च्यवनप्राश बनाने में किया था। वैज्ञानिकों के दल में आइआइटी रुड़की डा. सौरभ पांडेय व रेवाड़ी के राजकीय महिला महाविद्यालय रेवाड़ी की एसोसिएट प्रोफेसर व हेड आफ डिपार्टमेंट डा. कविता, आइजीयू मीरपुर के बोटेनिस्ट प्रो. डा. ईशान, एनएच कंसल्टिग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी धनंजय कुमार, डीजीएम प्रियम सिंह, एचएसबीबी के जिला समन्वयक देशराज शर्मा, एनएच कंसल्टिग प्राइवेट लिमिटेड से रिसर्च सहायक शक्ति सिंह, स्वरूप सिंह, मनीष कुमार शामिल थे। डा. सौरभ पांडेय वनस्पति और फन्ना विशेषज्ञ हैं। वैज्ञानिक डा. कविता सैनी ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में बताया कि ढोसी के पहाड़ पर औषधीय पौधों की भरमार है। सर्वे के दौरान 140 प्रकार की प्रजातियों के पौधे मिले हैं, जो कि अपने आप में बड़ी बात है। इनमें से अधिकांश पौधे औषधीय हैं। हालांकि वैज्ञानिक इन पौधों की प्रजातियों की जांच कर पता लगा रहे हैं कि इनमें औषधीय पौधों की कितनी प्रजातियां हैं। फिलहाल पांच-छह औषधीय पौधे वो मिले हैं, जो कि महर्षि च्यवन ने च्यवनप्राश बनाने में इस्तेमाल किए थे। इनके अलावा 20 प्रकार के जीव मिले हैं। जैसे टिड्डे, भृंग, कीट तथा अन्य जीव जंतु शामिल हैं। उन्होंने कहा कि महर्षि च्यवन ने 46 औषधीय जड़ी-बूटियों और श्रेबों से च्यवनप्राश तैयार किया था। उन्होंने कहा कि बहुत संभावना है कि इनमें काफी जड़ी बूटियों की पहचान हो जाएगी।