मजदूरी में कटौती के विरोध में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए मजदूर
मजदूरी कटौती के विरोध में रविवार को लाडवा अनाज मंडी के मजदूर काम छोड़ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। मजदूरों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
संवाद सहयोगी, लाडवा :
मजदूरी कटौती के विरोध में रविवार को लाडवा अनाज मंडी के मजदूर काम छोड़ अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए। मजदूरों ने हरियाणा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
लाडवा मजदूर एसोसिएशन के प्रधान नंदाराम ने कहा कि जब तक सरकार अपने इस फैसले को वापस नहीं लेगी तब तक यह हड़ताल अनिश्चितकाल के लिए जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में पहले ही घर चलाना मुश्किल हो रहा था। अब मजदूरी में कटौती करके उनके बच्चों को भूखा मरने के लिए छोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अनाजमंडी में कोई भी मजदूर किसी भी व्यापारी के लिए कोई काम नहीं करेगा न तो ट्राली से धान की फसल उतारेगा और न ही कट्टों की भराई करेगा। जब तक मांगे पूरी नहीं होगी। तब तक हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि 27 सितंबर को करनाल में हरियाणा मजदूर एसोसिएशन की सभी मंडियों के प्रधान भाग लेंगे और अगली रणनीति बनाई जाएगी। विरोध करने वालों में सोनी, सोनू, मुरारी, राजन, मदन, नरेश, शंभू, दयाल, बद्री, सांभा, नौशाद, रमेश, वीरेन्द्र, गोविद मौजूद रहे।
पल्लेदारों ने छोड़ा काम
संवाद सहयोगी, बाबैन : हरियाणा मार्केट बोर्ड की ओर से पल्लेदारों की मजदूरी घटाने के विरोध में रविवार को बाबैन मंडी के सभी पल्लेदारों ने मंडी में काम छोड़ कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
पल्लेदारों ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मार्केट बोर्ड की ओर से उनकी पल्लेदारी घटाई गई तो वे मंडी में काम नहीं करेंगे। जिसके लिए स्वयं प्रशासन जिम्मेवार होगा। पल्लेदार एसोसिएशन के प्रधान गोकुल ने आरोप लगाया कि मार्केट बोर्ड ने इस साल मंडी में धान की मजदूरी कम कर दी है। यदि उन्हें पिछले साल वाली मजदूरी नहीं मिली तो वे मंडियों में धान की सुखाई, भराई, तुलाई व लदाई काम नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले साल उन्हें एक कट्टे की लेबर 13 रुपये 45 पैसे मिलती थी। जो इस साल घटाकर 10 रुपये 45 पैसे कर दी है, जो पल्लेदारों के साथ घोर अन्याय है। जिसे पल्लेदार कदापि सहन नहीं करेंगे। पल्लेदार मांगे राम व जय सिंह का कहना है कि धान के सीजन में उन्हें दिन-रात काम करना पड़ता है, ताकि मंडी से धान का उठान होता रहे और किसानों को धान लाने में परेशानी ना हो।