महिला थाना पुलिस प्रभारी प्रवीण कौर ने कोरोना काल में शक्ति बन निभाई ड्यूटी

नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 07:45 AM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 07:45 AM (IST)
महिला थाना पुलिस प्रभारी प्रवीण कौर ने कोरोना काल में शक्ति बन निभाई ड्यूटी
महिला थाना पुलिस प्रभारी प्रवीण कौर ने कोरोना काल में शक्ति बन निभाई ड्यूटी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : नवरात्र के पांचवें दिन मां दुर्गा के स्कंदमाता स्वरूप की पूजा की जाती है। जो हमें अपना फर्ज निभाने के लिए प्रेरित करती हैं। कोरोना काल में महिला पुलिस ने मां दुर्गा के सामान शक्ति बन अपनी ड्यूटी को निभाया। महिला पुलिस को शहर के आंतरिक हिस्सों में ड्यूटी पर तैनात किया गया, जहां से महिला-पुरुषों पर लॉकडाउन का पालन कराना था। ऐसे में महिला पुलिस ने भी पुरुष पुलिस कर्मचारियों के बराबर ही अपनी ड्यूटी को निभाया। ऐसी ही महिला पुलिस अधिकारी हैं महिला थाना पुलिस प्रभारी प्रवीण कौर। जिन्होंने कोरोना काल में विषम परिस्थितियों का सामना किया। ड्यूटी भी की और बच्चों व वृद्ध सास-ससुर को भी संभाला। उनके पति भी पुलिस विभाग में ही तैनात हैं। वे भी अपनी ड्यूटी पर थे। साथ ही परिवार व बच्चों के साथ-साथ ड्यूटी को बाखूबी निभाया।

कोरोना काल में लाकडाउन के साथ ही पुलिस कर्मचारियों की छुट्टियों पर रोक लगा दी गई थी। महिला पुलिस को शहर के सबसे व्यस्त चौकों पर ड्यूटी पर तैनात किया गया। इन चौकों से ही शहर के आंतरिक हिस्सों में लोगों की आवाजाही थी। एसआइ प्रवीण कौर की ड्यूटी भी लाकडाउन के नियमों की उल्लंघना करने वालों के साथ-साथ महिलाओं की सुरक्षा प्रदान करना था। उन्होंने असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने में कहीं भी कमी नहीं छोड़ी। कोरोना योद्धा बन उन्होंने अपनी ड्यूटी की। हर समय रहता था डर, कहीं मेरे कारण न हो जाए परिवार संक्रमित महिला थाना प्रभारी प्रवीण कौर का कहना है कि कोरोना काल के दौरान हर समय यही डर रहता था कि कहीं उनका परिवार उनके कारण इस बीमारी से संक्रमित न हो जाए। वे ड्यूटी से घर जाने के बाद तब तक परिवार के साथ नहीं मिलती जब वह जरूरी नियमों की पालना नहीं कर लेती थी। उसके बाद वे बच्चों से दिन में आनलाइन क्लास के बारे में जानकारी लेने और बुजुर्ग सास-ससुर की कुशलक्षेम पूछती थी। उनका कहना है कि पुलिस की नौकरी दूसरों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। परिवार से पहले ड्यूटी है, वे इसे पूरी इमानदारी से निभाती हैं।

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