प्रदेश की बेहतर सरकार बनाने के लिए अनुभवी वोटों की डली आहुति
प्रदेश में बेहतर सरकार बनाने के लिए सोमवार को बुजुर्गों ने उत्साहित आहुति डाली। बुजुर्ग अपने बेटों व पौत्रों के साथ पोलिग बूथों पर पहुंचे और अपनी मर्जी से गुप्त मतदान किया। मतदान करने के उपरांत उनके चेहरे पर मत देने की खुशी साफ झलक रही थी।
सतविद्र सिंह, कुरुक्षेत्र : प्रदेश में बेहतर सरकार बनाने के लिए सोमवार को बुजुर्गों ने उत्साहित आहुति डाली। बुजुर्ग अपने बेटों व पौत्रों के साथ पोलिग बूथों पर पहुंचे और अपनी मर्जी से गुप्त मतदान किया। मतदान करने के उपरांत उनके चेहरे पर मत देने की खुशी साफ झलक रही थी। बुजुर्गों का कहना था कि पांच साल में मत देने का मौका मिलता है, जब वे अपने मत के प्रयोग से सरकार को चुन देश-प्रदेश को सुरक्षित हाथों में सौंपते हैं। दैनिक जागरण से बुजुर्गों ने बातचीत में कहा कि उम्र के इस अंतिम पड़ाव तक वे कई उतार चढ़ाव देख चुके हैं। आए पांच साल बाद चुनाव में कुछ न कुछ अलग दिखाई देता है। पहले लंबी कतारों में घंटों मत का प्रयोग करने के लिए लगना पड़ता था, मगर अब चंद मिनटों में मतदान हो रहा है। लाइन अगर लंबी है तो तुरंत कुर्सी मिलती है। 60 प्रतिशत बुजुर्गाें का कहना था कि उन्होंने विकास के नाम पर वोट दिया है। दादी तेजो देवी को बाहों में उठा कर लाए पौत्र
गांव भिवानी खेड़ा में 100 वर्ष से अधिक उम्र की दादी तेजो देवी अपने पौत्र के साथ सुरेंद्र सैनी के साथ पोलिग बूथ पर वोट देने के लिए पहुंची। दादी तेजो देवी का कहना था कि वे प्रत्येक चुनाव में वोट करती हैं। अब और पहले के समय में काफी अंतर आ गया है। पांच-छह दशक पहले चुनाव को लेकर लोगों में बेहद उत्साह होता था। मतदान के लिए टोलियां आती थी। पोलिग बूथ पर महिलाएं गीत गाती थी, अब वह माहौल नहीं रहा। आज मशीन में कुछ मिनटों में ही मतदान हो जाता है। वोट डालने से ही बनेगी अच्छी सरकार
च्योतिसर में पोलिग बूथ पर वोट डालने पहुंची 90 वर्षीय इशरो देवी पूरे उत्साह के साथ वोट डालने के लिए पहुंची। उनका कहना था कि वोट डालने से ही अच्छी सरकार बनेगी। माता-पिता की मतदान करने की सीख वे नहीं भूली हैं। उन्होंने अपने बच्चों को भी वोट का महत्व बताया है। पांच साल में एक बार मिलता है मौका
गांव मिर्जापुर में वोट डालने के लिए आई 100 वर्षीय परमेश्वरी देवी का कहना था कि मतदान का अवसर पांच साल में एक बार आता है, जब वे अपनी मर्जी के उम्मीदवार को चुनती हैं। पहले मतदान में घंटों लाइन में लगना पड़ता था, अब चंद मिनटों में ही वोट डल जाती है। मतदान से मिलती है आत्मिक शांति
गांव च्योतिसर के 85 वर्षीय बुजुर्ग रामस्वरूप का था कि वे आजादी के बाद से मतदान कर रहे हैं। मतदान करने से आत्मिक शांति मिलती है। वोट देकर लगता है कि हमेशा देश के प्रति अपने कर्तव्य को निभाया है। पहले पौत्र को साथ लेकर वोट डालने लाती थी, अब पौत्र वोट डलवाने के लिए साथ लाता है
गांव धनौरा जाटान की 105 इशरो देवी वोट डालने के लिए पहुंची तो मतदाता सूची में उन्हें मृत दिखाया गया। वृद्ध के पौत्र ने काफी जद्दोजहद के बाद नई व पुरानी सूचियों का मिलान किया, जिसके बाद उन्होंने मत का प्रयोग किया। इशरो देवी का कहना था कि उन्हें जीते जी मार दिया। पहले वह अपने पौत्र को डालने के लिए साथ लाती थी, अब उसका पौत्र उसे डालने के लिए साथ लाता है।