तेज रफ्तार से जीवन को दांव पर लगा रहे वाहन चालक

जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ रही हैं लापरवाही भी बढ़ रही है। तेज रफ्तार जिदगी में मनुष्य ने खुद का ही जीवन दांव पर लगा दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 06:44 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 06:44 AM (IST)
तेज रफ्तार से जीवन को दांव पर लगा रहे वाहन चालक
तेज रफ्तार से जीवन को दांव पर लगा रहे वाहन चालक

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : जैसे-जैसे सुविधाएं बढ़ रही हैं, लापरवाही भी बढ़ रही है। तेज रफ्तार जिदगी में मनुष्य ने खुद का ही जीवन दांव पर लगा दिया है। यातायात नियमों का उल्लंघन अब फैशन बन चुका है। जान भले ही चली जाए, लेकिन रेड लाइट जंप करनी ही है। इसके लिए जहां वाहन चालक जिम्मेदार है, वहीं व्यवस्था बनाने वालों का भी दोष कम नहीं है। सड़कों पर डेंजर जोन के रूप में जहां मौत हर वक्त खड़ी है, वहीं दुर्घटनाएं रोकने वाले चैन की नींद सो रहे हैं। यहीं वजह है कि सड़क यातायात सुरक्षित नहीं रह गया है। गलत डिजाइन और घटिया किस्म की सड़कें दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण है। वाहनों का अत्यधिक दबाव और अकुशल चालक इनमें और इजाफा कर रहे हैं।

प्रदेश सरकार की ओर से कुछ वर्ष पहले एक हजार से अधिक दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का चयन कराया था। तत्काल प्रभाव से इन्हें सुधारने के निर्देश दिए गए ,लेकिन अफसोस कि अब भी अनेक डेंजर जोन प्रदेश में मौजूद हैं, जहां पर किसी भी समय दुर्घटना हो सकती है। राष्ट्रीय राजमार्ग व राज्य मार्गों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के प्रमुख मार्गाें पर दुर्घटना संभावित क्षेत्रों को दुरुस्त करने में हो रही का ही नतीजा है कि आए दिन सड़कें लोगों की जानें लील रही हैं। सड़क दुर्घटनाएं रोकने में सरकारें तो नाकाम रही ही हैं, वाहन चालक भी जीवन का मोल नहीं पहचान रहे। नियमों को दिखाया जाता है ठेंगा

भारी वाहन चालक नियमों को ठेंगा दिखा तेज रफ्तार से चलते हैं। जिससे कई दुर्घटनाएं होती हैं। शराब पीकर वाहन चलाने वालों का भी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ाने में अहम रोल है। यातायात पुलिस व अन्य जिम्मेदार विभाग के चालान काटकर या कार्रवाई करके अपने कर्तव्य से इतिश्री कर लेने से भी गैर जिम्मेदार वाहन चालकों के हौसलें बढ़ रहे हैं। जागरूकता अभियान नहीं दिखता असर सरकार की ओर से समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर वाहन चालकों को यातायात नियमों का पाठ पढ़ाया जाता है, मगर इसका व्यापक असर देखने को नहीं मिल रहा। नियम पालन कर रोके जा सकते हैं हादसे

सड़क हादसों का सहज पूर्वानुसार लगाए जा सकने के चलते इस पर अंकुश लगाना आसान है। कई देशों ने इसी मंत्र पर अमल करते हुए सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार वजहों को खत्म किया। आज उनकी सड़कें सुरक्षित हैं हादसों में हताहतों के लिहाज से हम शीर्ष पर हैं। लिहाजा इस समस्या से निपटने के लिए हमें उतनी ही शिद्द से जुड़ना होगा। हादसों की वजहों को प्रभावकारी तरीके से खत्म करना होगा। तेज रफ्तार : हादसों होना वाहन की स्पीड भी बड़ा कारण है। अपेक्षाकृत युवा तेज रफ्तार वाहन चलाने के साथ नियम-कानूनों को भी ताक पर रख देते हैं। ऐसे में कई बार दूसरे वाहनों के लिए मुश्किल खड़ी हो जाती है। अगर यातायात की औसत रफ्तार को एक किमी.प्रति घंटे कम कर दिया जाए तो गंभीर रूप से होने वाले हादसे 4-5 फीसद कम हो सकते हैं।

शराब पीकर वाहन न चलाना : रक्त में शून्य स्तर से ऊपर एल्कोहल की मात्रा होने से किसी 30 साल से अधिक आयु वाले की तुलना में किशोर चालक द्वारा हादसे की आशंका पांच गुना अधिक हो जाती है। कम उम्र और गैर अनुभवी चालकों के लिए अल्कोहल सीमा के नए मानदंड लागू करके हादसों में 4-24 फीसद तक कमी लाई जा सकती है। सीट बेल्ट लगाना: सड़क सुरक्षा को लेकर खोजे गए अब तक सभी उपकरणों में सीट बेल्ट ने सर्वाधिक जाने बचाई हैं। अकेले सीट बेल्ट के इस्तेमाल से हादसों में होने वाली सभी तरीके की चोटों को 40-50 फीसद कम किया जा सकता है, जबकि गंभीर चोटों को 40-60 फीसद तक रोका जा सकता है।

एक जनवरी से 31 अक्टूबर तक के चालान का ब्योरा

ओवर स्पीड़ : 1855

डेंजरस यू टर्न : 1879

फेलियर असेसरी : 1758

गलत दिशा में ड्राइविग : 6802

अवैध पार्किंग : 3765

बिना हेलमेट : 16574

बिना सीट बेल्ट : 2176

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट : 4890

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