वेद भारतीय संस्कृति की पोषक : ब्रह्माचारी

तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के तट पर महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन व श्री जयराम विद्यापीठ कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में विद्वानों के महाकुंभ का बुधवार को समापन हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 07:07 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 07:07 AM (IST)
वेद भारतीय संस्कृति की पोषक : ब्रह्माचारी
वेद भारतीय संस्कृति की पोषक : ब्रह्माचारी

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : तीर्थों की संगम स्थली कुरुक्षेत्र के ब्रह्मसरोवर के तट पर महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान उज्जैन व श्री जयराम विद्यापीठ कुरुक्षेत्र के संयुक्त तत्वावधान में विद्वानों के महाकुंभ का बुधवार को समापन हो गया। तीन दिवसीय राष्ट्रीय वैदिक सम्मेलन में विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति और राज्यों से संस्कृत व वेदों के विद्वान शामिल हुए।

जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मास्वरूप ब्रह्माचारी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की, जबकि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने मुख्यातिथि और लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति डा. रमेश कुमार पांडेय विशिष्ट अतिथि रहे। लाल बहादुर शास्त्री विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रो. शिव शंकर मिश्र समापन सत्र के संयोजक रहे।

ब्रह्मास्वरूप ब्रह्माचारी ने कहा कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में सौभाग्यशाली अवसर था कि चारों वेदों के महान ज्ञाता तीन दिवसीय महाकुंभ में एकजुट हुए और यज्ञ से पूरे कुरुक्षेत्र में सकारात्मक व वैदिक वातावरण बना। उन्होंने कहा कि वेद हमारी भारतीय संस्कृति के पोषक हैं। वेदों को हमारे जीवन में उतारना होगा। तभी संस्कारों को बढ़ावा मिलेगा। वेद पाठ के यज्ञ से समाज को नई दिशा देने के लिए वेदों पर गहन मंथन किया गया। जयराम विद्यापीठ को वेदों के महान वेद विद्वानों की सेवा व व्यवस्था करने का अवसर प्राप्त हुआ। भारतीय संस्कृति में वेदों की सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। ब्रह्मचारी ने कहा कि यह राष्ट्रीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। पूरे देश के विभिन्न राज्यों से चारों वेदों के सौ से अधिक महान विद्वानों ने तीन दिन तक मंथन कर अनुसंधान को नई दिशा दी।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ ने जयराम विद्यापीठ में राष्ट्रीय क्षेत्रीय वैदिक सम्मेलन के आयोजन के भव्य व सफल आयोजन के लिए ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वेद ज्ञान का भंडार हैं। वेदों को जानने के लिए प्रचार प्रसार का होना बहुत जरूरी है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की स्थापना भी संस्कृत विश्वविद्यालय के रूप में हुई थी। समय के अनुसार प्रबंधन एवं विस्तार हुआ। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में 49 विभाग कार्य कर रहे हैं। प्रो. शिव शंकर मिश्र समापन सत्र में सबका आभार व्यक्ति किया। इस मौके पर जयराम शिक्षण संस्थान के उपाध्यक्ष व सेवानिवृत आयुक्त टीके शर्मा, निदेशक एसएन गुप्ता, एडवोकेट केके कौशिक, डा. कृष्ण रल्हन, पवन गर्ग, राजेश सिगला, श्री जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य रणबीर भारद्वाज, रोहित कौशिक व राजेश शर्मा मौजूद रहे।

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