बागवानी बीमा योजना के तहत फलों की खेती में जोखिम किया जाता है कम : सुधा
विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि प्रदेश में किसानों के हितों की रक्षा के प्रति मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए एक विशेष रूप से डिजाइन की गई योजना के तहत अजैविक कारकों के खिलाफ बागवानी किसानों को कवर करने का निर्णय लिया है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : विधायक सुभाष सुधा ने कहा कि प्रदेश में किसानों के हितों की रक्षा के प्रति मुख्यमंत्री मनोहर लाल की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए एक विशेष रूप से डिजाइन की गई योजना के तहत अजैविक कारकों के खिलाफ बागवानी किसानों को कवर करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के तहत किसानों के लिए प्रतिकूल मौसम और प्राकृतिक आपदाओं के कारण बागवानी फसलों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मुख्यमंत्री बागवानी बीमा योजना (एमबीबीवाइ) नामक एक आश्वासन-आधारित योजना के कार्यान्वयन को स्वीकृति प्रदान की गई है। बागवानी किसानों को विभिन्न कारकों के कारण भारी वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है जिनमें फसलों में अचानक बीमारी फैलने, कीटों के संक्रमण जैसे जैविक कारक और बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, सूखा, पाला, अत्यधिक तापमान जैसे अजैविक कारक शामिल है।
विधायक सुभाष सुधा ने बातचीत करते हुए कहा कि इस योजना के तहत ओलावृष्टि, पाला, वर्षा, बाढ़, आग आदि जैसे मापदंडों को लिया गया है जिससे फसल को नुकसान होता है। इस योजना के तहत कुल 21 सब्जी, फल और मसाला फसलों को कवर किया जाएगा। योजना के तहत किसानों को सब्जी एवं मसाला फसलों की 30 हजार रुपये और फल फसलों की 40 हजार रुपये की बीमा राशि के विरुद्ध केवल 2.5 प्रतिशत यानी क्रमश: 750 रुपये और 1000 रुपये ही अदा करते होंगे।
उन्होंने कहा कि दावा मुआवजा सर्वेक्षण और नुकसान की चार श्रेणियों 25, 50, 75 और 100 प्रतिशत की सीमा पर आधारित होगा। यह योजना वैकल्पिक होगी और पूरे राज्य में लागू होगी। किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा (एमएफएमबी) पोर्टल पर अपनी फसल और क्षेत्र का पंजीकरण करते समय इस योजना का विकल्प चुनना होगा। मौसमवार फसल पंजीकरण की अवधि समय-समय पर निर्धारित एवं अधिसूचित की जाएगी। यह योजना व्यक्तिगत क्षेत्र पर लागू की जाएगी अर्थात फसल हानि का आकलन व्यक्तिगत क्षेत्र स्तर पर किया जाएगा। राज्य सरकार द्वारा इसके लिए बजट का भी प्रावधान किया जाएगा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत राज्य और जिला स्तरीय समितियां राज्य एवं जिला स्तर पर निगरानी, समीक्षा और विवादों का समाधान करेंगी।