सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर में चौदस पर लगा मेला, हजारों लोगों ने किए दर्शन

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र गांव हथीरा सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर में शुक्रवार को गु

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Feb 2021 06:23 AM (IST) Updated:Sat, 27 Feb 2021 06:23 AM (IST)
सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर में चौदस पर लगा मेला, हजारों लोगों ने किए दर्शन
सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर में चौदस पर लगा मेला, हजारों लोगों ने किए दर्शन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गांव हथीरा सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर में शुक्रवार को गुप्त नवरात्र की चौदस पर हजारों श्रद्धालु मां के दर पर माथा टेकने पहुंचे। मंदिर से बाहर दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की 500 मीटर लंबी लाइन लग गई। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं ने जगह-जगह कंजक पूजन और हवन किया। कई श्रद्धालुओं ने मन्नत पूरी होने पर माता के दरबार में नारियल और श्रृंगार चढ़ाया। नवविवाहित जोड़े मां के दरबार में आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे। गौर हो कि मंदिर में हर सामान्य चौदस पर भी बड़े मेले का आयोजन होता है। यह मंदिर धर्मनगरी से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

मंदिर के पीछे की कहानी

सिद्ध पीठ माता बाला सुंदरी मंदिर कमेटी के सदस्य रणधीर ने बताया कि महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाला डूडर भक्त माता का परम भक्त था। माता ने उसे दर्शन देकर गांव हथीरा में मंदिर से अवगत करवाया। डूडर भक्त ने गांव हथीरा में पहुंचकर मंदिर निर्माण का कार्य आरंभ किया। जैसे ही खुदाई का कार्य आरंभ हुआ तो टीले के नीचे माता का पिडी स्वरूप व छोटा मंदिर निकला जो आज भी स्थापित है। रणधीर ने बताया कि मंदिर के बारे में यह भी कथा है कि महाभारत युद्ध आरंभ होने से पहले पांडवों ने अपनी कुलदेवी माता बाला सुंदरी की पिडी स्थापित कर हथीरा में पूजा की थी। पांडवों ने इसका नाम हस्तिपुर रखा था। बाद में माता बाला सुंदरी का मंदिर स्थापित होने से हस्तिपुर से हथीरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

शुभ कार्य में सबसे पहले होती है माता की पूजा

सदस्य रणधीर ने बताया कि गांव व आसपास के क्षेत्र में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले माता की पूजा की जाती है। गाय-भैंस का सर्वप्रथम दूध माता को चढ़ाया जाता है तो शादी के बाद नवविवाहित जोड़ा भी दर्शन के लिए मंदिर में पहुंचते हैं।

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