पराली की गांठे बनाने के रेट पर बिगड़ा मामला, यूनियन ने पंजाब से आए दस ट्रैक्टर जब्त किए

पराली बेल यूनियन की टीम ने पंजाब के दस ट्रैक्टरों को कब्जे में लिया। यह ट्रैक्टर पराली की गांठे बनाने के लिए हरियाणा में आए थे। इन ट्रैक्टरों के मालिकों ने माफी मांग कर पीछा छुड़ाया। बेल यूनियन ने एलान किया हुआ है कि जब तक प्राइवेट मिल उनकी बेल का दाम नहीं बढ़ाते तब तक खेतों में पराली की गांठें नहीं बनाने दी जाएंगी। ऐसे में पराली के प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की मुहिम कभी भी प्रभावित हो सकती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 06:21 AM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 06:21 AM (IST)
पराली की गांठे बनाने के रेट पर बिगड़ा मामला, यूनियन ने पंजाब से आए दस ट्रैक्टर जब्त किए
पराली की गांठे बनाने के रेट पर बिगड़ा मामला, यूनियन ने पंजाब से आए दस ट्रैक्टर जब्त किए

जागरण संवाददाता, इस्माईलाबाद, कुरुक्षेत्र : पराली बेल यूनियन की टीम ने पंजाब के दस ट्रैक्टरों को कब्जे में लिया। यह ट्रैक्टर पराली की गांठे बनाने के लिए हरियाणा में आए थे। इन ट्रैक्टरों के मालिकों ने माफी मांग कर पीछा छुड़ाया। बेल यूनियन ने एलान किया हुआ है कि जब तक प्राइवेट मिल उनकी बेल का दाम नहीं बढ़ाते तब तक खेतों में पराली की गांठें नहीं बनाने दी जाएंगी। ऐसे में पराली के प्रदूषण से मुक्ति दिलाने की मुहिम कभी भी प्रभावित हो सकती है।

बेल यूनियन को सूचना मिली कि पंजाब की टीमें गांठें बनाने के लिए पिहोवा व इस्माईलाबाद के इलाके में पहुंच गई हैं। इस सूचना को लेकर किसानों को पचास सदस्य दल खेतों में उतर लिया। इस दल ने दस ट्रैक्टर कब्जे में लिए। यूनियन ने सभी के मालिकों से शपथ पत्र लिए और ट्यूकर बार्डर से वापस पंजाब रवाना किया। यूनियन ने ऐलान कर दिया है कि अब ऐसे वाहनों को कब्जे में लेकर गुप्त जगहों पर सुरक्षित रखा जाएगा। यूनियन के नेता खजान नैन, जय नारायण और सतीश राणा ने बताया कि यूनियन पिछले एक महीने से पराली की गांठ बनाने की एवज में दाम बढ़ाने की मांग कर रही है। इस ओर प्राइवेट पेपर मिल मालिक और सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। ऐसे में अब गांठ नहीं बनने दी जाएगी। भले ही किसान पराली को आग के हवाले कर दें। वहीं इस मामले के बाद आने वाले दिनों में किसानों के लिए नई समस्या पैदा होने जा रही है। इसके साथ ही कृषि विभाग में भी हड़कंप मच चुका है। कृषि विभाग किसानों को पराली ना जलाने का संदेश देता आ रहा है। अब गांठें ना बनने से किसान का सहयोग लेना मुश्किल हो जाएगा।

40 रुपये क्विंटल का रेट बढ़ाने की मांग की

खजान नैन ने बताया कि पराली की गांठ के बदले प्राइवेट मिल मालिक 160 रुपये प्रति क्विंटल का भाव देते हैं। जो कि काफी कम है। इसे दो सौ रुपये से अधिक किया जाना चाहिए। जबकि बिना सीजन के यही गांठ सात सौ रुपये प्रति क्विंटल में ली जाती है। नैन का कहना है कि सरकार भी बीस से चालीस रुपये प्रति क्विटल की प्रोत्साहन राशी देकर मसला सुलझाया जा सकता है। यूनियन इसके लिए सभी अधिकारियों, कृषि मंत्री और उप मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचा चुकी है।

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