फानों में आग लगाने से बंजर हो सकती है जमीन : भटनागर
फसल कटाई के बाद खेत में खड़े फानों को बार-बार आग लगाने मिट्टी की ऊपरी सतह जलकर सख्त हो रही है। मिट्टी के सख्त होने पर इसमें आर्गेनिक कार्बन का स्तर कम होता जा रहा है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : फसल कटाई के बाद खेत में खड़े फानों को बार-बार आग लगाने मिट्टी की ऊपरी सतह जलकर सख्त हो रही है। मिट्टी के सख्त होने पर इसमें आर्गेनिक कार्बन का स्तर कम होता जा रहा है। अगर किसानों न अपने खतों में आग लगानी बंद नहीं की तो जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होने से यह बंजर हो सकती है। मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनाए रखने और बढ़ाने के लिए जरूरी है कि फसल कटाई के बाद बचे अवशेषों को खेत की मिट्टी में ही मिलाया जाए। यह बात चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय हिसार के कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डा. प्रद्युम्मन भटनागर ने वीरवार को गांव धनौरा जाट्टान में आयोजित किसान प्रशिक्षण शिविर में बोल रहे थे।
फानों में आग लगाने से नष्ट कर रहे खाद
उन्होंने कहा कि फसल कटाई के बाद खेत में बचे हुए फानों में 25 प्रतिशत फास्फोरस और सल्फर व 75 प्रतिशत पोटाश होता है। इन्हीं फानों में आग लगाने से यह सब नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि इन फानों को खेत में मिलाने से किसान को हर फसल में खाद पर करीब एक हजार रुपये कम खर्च करने पड़ते हैं।
फानों को खेत में मिलाने से फायदा
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गांव धनौरा जाट्टान के किसान धर्मपाल मेहरा ने कहा कि वह पिछले कई सालों से फानों को खेत की मिट्टी में ही मिला रहे हैं। इससे उनके खेत में अच्छी पैदावार हो रही है। फसल में कम खाद डालने पर भी पैदावार अच्छी रहती है। किसानों के फायदे के लिए गांव-गांव में मिट्टी और पानी की जांच लैब स्थापित करने चाहिए, ताकि जांच के बाद मिट्टी में जरूरत अनुसार पोषक तत्व डाले जा सकें।
उपकरणों की उपलब्धता आसान किया जाना जरूरी
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प्रगतिशील किसान अनिल गोयल ने कहा कि फानों को खेत में मिलाने से मिट्टी की सेहत ठीक रहती है। कई बार किसानों को मिट्टी में फाने मिलाने के लिए कृषि उपकरण उपलब्ध नहीं हो पाते। इसके लिए जरूरी है कि अधिकारी ओर ध्यान दें और गांवों में जरूरत अनुसार कृषि उपकरण उपलब्ध करवाएं। सभी किसानों को होना होगा जागरूक
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गांव हलालपुर के किसान देवी लाल ने कहा कि फानों में आग से होने वाले नुकसान को लेकर किसानों को जागरूक होना होगा। फानों में आग से किसान को ही नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे बचाव के लिए किसानों को फाने खेत में ही मिलाने होंगे।