कुवि और एनआइटी की रैंकिग गिरना चितनीय, छात्र संगठनों ने सुधार की उठाई मांग
नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का पिछड़ना शिक्षा जगत में शुभ नहीं है। इसमें कुवि 20 रैंक घटकर सौ से बाहर हो गई है। कुवि का पिछले साल 99 वां रैंक था।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का पिछड़ना शिक्षा जगत में शुभ नहीं है। इसमें कुवि 20 रैंक घटकर सौ से बाहर हो गई है। कुवि का पिछले साल 99 वां रैंक था। अब इसे 100 से 150 के बीच में बैंड मिला है। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का रैंक चार नीचे गिरा है। यह 40वें नंबर से गिरकर 44वें पर आ गई है। छात्र संगठनों ने इनमें सुधार की मांग उठाई है। विदित है कि नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिग फ्रेमवर्क ने वीरवार को रैंकिग जारी की है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुभाष कलसाना ने बताया कि शिक्षण संस्थानों का पिछड़ना छात्र हित में नहीं है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को शिक्षकों की स्थायी नियुक्ति कर शैक्षणिक माहौल सुधारने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि इस सर्वे में शिक्षण संस्थानों व विश्वविद्यालयों में छात्रों को मिलने वाली सुविधाओं, प्रवेश परीक्षा, परिणाम, शोध और छात्र व शिक्षकों के अनुपात का आंकलन किया जाता है। कुवि में अभी पिछले काफी वर्षो से शिक्षकों के पद खाली हैं। जिस कारण छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनका शोध कार्य भी प्रभावित होता है, जबकि एआइआरएफ में सबसे ज्यादा अंक छात्र-शिक्षक अनुपात को मिलते हैं। कुवि में शिक्षकों की भारी कमी है। अभाविप जल्द से जल्द शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग करता है। इसके साथ दाखिलों में पारदर्शिता लागू और आरक्षित वर्ग को दाखिले में हिस्सेदारी मिलने की मांग करता है। शिक्षकों के प्रोमोशन के केसों का जल्द समाधान किया जाए। जिससे विश्वविद्यालय में शैक्षणिक माहौल को बढ़ावा मिलेगा।