तकनीक से दैनिक जीवन के कठिन कार्य बनेंगे आसान : पटनायक
कुरुक्षेत्र राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. श्यामसुंदर पटनायक ने कहा कि तकनीक के माध्यम से दैनिक जीवन के बहुत से कठिन कार्यों को आसान किया जा सकता है।
जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षण प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. श्यामसुंदर पटनायक ने कहा कि तकनीक के माध्यम से दैनिक जीवन के बहुत से कठिन कार्यों को आसान किया जा सकता है। शोधार्थियों को चाहिए वह मानव के सामने आने वाली बाधाओं की तकनीकी की मदद से दूर करने का आसान तरीका निकालने पर ध्यान दें। वह बुधवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट आफ इंजीनियरिग एंड टेक्नोलाजी (यूआइईटी) की ओर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय व टीक्यूप-3 और स्प्रिंगर के साथ मोबाइल रेडियो संचार और 5जी नेटवर्क पर बुधवार को तीसरी आनलाइन अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को चाहिए कि इंटरनेट आफ थिग्स (आइओटी) के माध्यम से डाटा और सेंसर को कनेक्ट करके मानवीय जीवन के लिए कार्य करें। जिन मरीजों में ब्रेन डेड हो जाता है या जिनकी आवाज चली जाती है। उसके अंदर सेंसर डाटा का प्रयोग कर ऐसी तकनीक विकसित करें, जिसे इस क्षेत्र में समाज को अधिक से अधिक फायदा हो सके। उन्होंने कहा कि समय के साथ आने वाली चुनौतियों पर शोध जरूरी है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कुवि के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर में अंतरराष्ट्रीय स्तर की कार्यशाला को आयोजित करना बहुत ही सराहनीय कार्य है । उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि आज नेटवर्क के क्षेत्र में हमें विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। नेटवर्क डाटा की सुरक्षा को लेकर कई बार परेशानी भी झेलनी पड़ती है। इसलिए ऐसी कार्यशालाओं के आयोजन से इससे जुड़ी विभिन्न प्रकार की तकनीक की जानकारी हासिल हो जाती है इसका फायदा समाज को मिलता है।
कार्यशाला के विशेष मेहमान आरएमआइटी विवि मेलबर्न से प्रो. दिनेश कांत कुमार ने स्मार्टफोन पर आधारित न्यूरो डीजेनेरेटिव रोग पर अपने विचार सांझा किए। आस्ट्रिया डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम रिसर्च डिविजन के हेड प्रो. शाहराम एज, ़फाग और क्लाउड के अभिसरण को समझाया। कुवि के डीन इंजीनियरिग प्रो. सीसी त्रिपाठी ने कहा कि यह कार्यशाला हेल्थ केयर प्रौद्योगिकी में नवीनतम प्रगति को डिजाइन करने के लिए शामिल शोधकर्ताओं को और अधिक गति प्रदान करेगा। कार्यशाला के सचिव डा. निखिल मारीवाला ने बताया कि कार्यशाला के विषय से संबंधित 250 शोध पत्र आमंत्रित किए गए। इनमें से 49 का चयन किया गया है।